ऋषि सुनक के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने को लेकर भारत में विपक्ष द्वारा अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता शशि थरूर, पी. चिदंबरम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बाद अब AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी इस मुद्दे में कूद पड़े और कहा कि हिजाब पहनने वाली बच्ची एक दिन भारत की प्रधानमंत्री बनेगी।
कर्नाटक के बीजपुर में कांग्रेस नेता शशि थरूर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैंने तो कहा ही है कि मेरी जिंदगी में या मेरी जिंदगी के बाद एक हिजाब पहनने वाली बच्ची भारत की प्रधानमंत्री बनेगी। दरअसल, थरूर ने अपने बयान में कहा कि मुझे लगता है कि हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि ब्रितानियों ने दुनिया में कुछ बहुत ही दुर्लभ काम किया है, अपने सबसे शक्तिशाली कार्यालय में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को मौका दिया है। हम भारतीय ऋषि सुनक के लिए जश्न मनाते हैं। इस बयान पर ओवैसी ने ये जवाब दिया।
इससे पहले मंगलवार को AIMIM सांसद ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि सबका साथ, सबका विकास सिर्फ एक जुमला है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बीजेपी का असली एजेंडा देश की विविधता और मुस्लिम पहचान को खत्म करना है। ओवैसी ने मंगलवार को एनआरसी का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरा।
Modi govt’s policy is to treat Muslims with suspicion. Why ‘profile’ Muslims alone? Hindu communities also live near border areas, are they being profiled? This is backdoor NRC 1/2 https://t.co/jgRKbr7HDf
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 25, 2022
उन्होंने ट्वीट किया – “मोदी सरकार की नीति मुसलमानों को संदेह की नजर से देखने की है। अकेले मुसलमान ही ‘प्रोफाइल’ क्यों? हिंदू समुदाय भी सीमावर्ती क्षेत्रों के पास रहते हैं, क्या उन्हें प्रोफाइल किया जा रहा है? यह पिछले दरवाजे से NRC है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के साथ काम करने के लिए गैर-मुसलमानों को गिरफ्तार किए जाने के कई मामले सामने आए हैं। इसमें सुरक्षाकर्मी और यहां तक कि एक बीजेपी पदाधिकारी भी शामिल है।”
महबूबा भी खड़ा कर चुकी हैं सवाल
ओवैसी से पहले पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने भी सवाल उठाया कि भारत में अब तक विभाजनकारी नीति अपनाई जा रही है। उन्होंने ऋषि सुनक को लेकर कहा कि ये याद रखना हमारे लिए अच्छा होगा कि ब्रिटेन ने एक जातीय अल्पसंख्यक को अपने प्रधानमंत्री के तौर पर स्वीकार कर लिया है। इसके बावजूद हम आज भी सीएए-एनआरसी और तमाम भेदभावपूर्ण कानूनों से बंधे हुए हैं।