देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के नए मामले दस हजार के करीब ही सामने आ रहे है। ऐसे में कहा जा सकता है कि फिलहाल कोरोना का काल सरकार के नियंत्रण में है। लेकिन वहीं, दूसरी तरफ, कोरोना के नए स्वरुप ने सरकार की चिंता को काफी बढ़ा दिया है। सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोविड टीकाकरण संबंधी राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह बूस्टर खुराक की जरूरत और औचित्य के संबंध में वैज्ञानिक प्रमाणों पर विचार कर रहे हैं।
जरूरत और औचित्य को लेकर वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार कर रहे हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को बताया कि कुछ देश कोविड-19 टीके की बूस्टर खुराक दे रहे हैं। बूस्टर खुराक के संबंध में भारत सरकार के रुख के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कोविड टीकाकरण संबंधी राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह बूस्टर खुराक की जरूरत और औचित्य को लेकर वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि टीका ले चुके लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और बीमारी से मृत्यु की दर में काफी कमी आई है, लेकिन ऐसे कुछ लोगों में अब भी हल्के संक्रमण हो सकते हैं।
ICMR ने एक टीकाकरण ट्रैकर विकसित किया है
उन्होंने कहा कि इसलिए मास्क का सख्त उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखने और हाथ धोने सहित हर समय कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक टीकाकरण ट्रैकर विकसित किया है जो आंशिक रूप से और पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों में मौतों की संख्या की तुलना में टीका नहीं लेने वाले व्यक्तियों की कोविड से मौतों की संख्या पर अलग-अलग जानकारी को दर्शाता है।
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उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसरण में कोविड से जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह सहायता प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
अब तक इतने देशों में फैल चुका है ओमिक्रॉन वेरिएंट
अब 28 नवंबर तक ओमिक्रॉन ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत केस कम से कम 11 देशों में मिल चुके हैं। कुछ विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट इन देशों के अलावा एक दर्जन और देशों में फैल चुका है और इसके केस धीरे-धीरे सामने आएंगे। यानी ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर जल्द ही और देशों में भी देखने को मिल सकता है। भारत में भी इसे लेकर अलर्ट जारी किया जा चुका है।
यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है
उधर, हामिश मैक्कलम, निदेशक, सेंटर फॉर प्लेनेटरी हेल्थ एंड फूड सिक्योरिटी, ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी, साउथ ईस्ट क्वींसलैंड ऑस्ट्रेलिया, ने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को समझने के मामले में ये बहुत शुरुआती दिन हैं। अफ्रीका से मिले बहुत शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है (हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उपलब्ध सीमित आंकड़ों को देखते हुए सावधानी बरतने का आग्रह किया है)। इस बिंदु पर, यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें डेल्टा जैसे अन्य सार्स-कोव-2 उपभेदों की तुलना में टीकों से बचने की कोई बड़ी क्षमता है या नहीं।
बूस्टर शॉट दिया जाए या नहीं अभी इसपर स्पष्ट राय नहीं है, लेकिन
एक बार आबादी में स्थापित हो जाने के बाद वायरस का कम प्रभावी (अर्थात कम गंभीर बीमारी का कारण) होना बहुत आम है। मायक्सोमैटोसिस इसका श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में सामने आने पर 99% खरगोशों को मार डाला था, लेकिन अब इसका प्रभाव कम हो चुका है और यह बहुत कम मृत्यु दर का कारण बनता है।
कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि कोविड भी कम गंभीर हो जाएगा क्योंकि यह बीमारी के एक स्थानिक स्तर पर संक्रमण करता है – किसी खास स्थान पर संक्रमण के अनुमानित पैटर्न में बस जाता है। यह संभव है कि ओमिक्रोन संस्करण इस प्रक्रिया में पहला कदम हो।
विशेषज्ञ पहले से बताते आए हैं कि अतिरिक्त खुराक उन लोगों को दी जाती है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है, जबकि स्वस्थ लोगों को बूस्टर शॉट दिया जाए या नहीं अभी इसपर स्पष्ट राय नहीं है, लेकिन कोरोना के इस नए वैरिएंट के सामने आने के बाद बूस्टर डोज की चर्चा फिर से बढ़ गई है।