साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की षोडशी कर्मकांड एवं अनुष्ठान में सभी 13 अखाडों के प्रतिनिधि, सहित पूरे देश से लगभग 10 हजार साधु-संत के अलावा कुछ राजनीतिक और सामाजिक लोग भी शामिल होंगे।
गुद्दड अखाड़ा को विशेष रूप से किया गया आमंत्रित
महंत नरेंद्र गिरी के षोडशी कार्यक्रम में गुद्दड अखाड़ा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। गुद्दड़ अखाडे के महात्मा षोडशी संस्कारों में भोजन करते हैं और दान लेते हैं। इस अखाड़ा से जुड़े महात्मा हरिद्वार, काशी, नाशिक, उज्जैन सहित कई शहरों में रहते हैं। षोडशी में सर्वप्रथम उन्हें भोजन करवाने के बाद भण्डारा आरंभ किया जाता है। अखाड़ा से जुडे महात्मा को 16 प्रकार का दान दिया जाता है शेष अन्य महात्माओं को उचित दक्षिणा दी जाती है।
संत-महात्मा की मृत्यु के बाद 16वें दिन होता है उनका कर्मकाण्ड
निरंजनी अखाड़ा के सचिव रवींद्र पुरी ने बताया कि गृहस्थ की मृत्यु के बाद उसका कर्म 13वें दिन होता है। संत-महात्मा की मृत्यु के बाद उनका कर्मकाण्ड 16वें दिन होता है। यह परंपरा सनातनकाल से चली आ रही है। उसी परंपरा के अनुसार गृहस्थ की 13वीं में 13 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दान-दक्षिणा दी जाती है और उनका आदर सत्कार कर विदा किया जाता है।
उन्होने बताया कि संत-महात्मा के कर्म में भी 16 ऐसे सन्यासियो को दान-दक्षिणा दी जाती है जिन्होने अपना पिंडदान किया होता है। इन संत-महात्माओं को नरेन्द, गिरी की पसंद की 16 भौतिक चीजों का दान दिया जाएगा। उन्होने बताया कि सनातन धर्म में गृहस्थ की मृत्यु के बाद उसके शुर्द्ध के दिन महाब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, उसी प्रकार 16वें दिन हरिद्वार के गुद्दड अखाड़ के सन्यासियों को दान-दक्षिणा दी जाती है।
बलवीर गिरि का किया जाएगा पट्टाभिषेक
इसी अवसर पर बलवीर गिरि का पट्टाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद महंतई चादरविधि के तहत वैदि मंत्रोच्चार के बीच निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, सचिव समेत सभी 13 अखाडों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उन्हें श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी का महंत घोषित किया जाएगा।
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