आगरा के एक निजी अस्पताल द्वारा ‘मॉक ड्रिल’ के तहत ऑक्सीजन आपूर्ति बंद होने से 22 लोगों की मौत के विवाद के आरोपों की जांच के लिए जिला प्रशासन ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित की है। दो दिन पहले पारस अस्पताल के प्रबंधन द्वारा कथित जघन्य अपराध को उजागर करने वाला एक वीडियो वायरल हुआ था।
कमेटी दो दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। राजनीतिक हलकों में हंगामे के बाद आगरा जिला प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया है और मालिकों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। अस्पताल का लाइसेंस भी निलंबित कर दिया गया है।
पारस अस्पताल के 50 रोगियों को अन्य अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है। आगरा के जिलाधिकारी पी.एन. सिंह ने ऑक्सीजन की किसी भी कमी से इनकार किया है जिससे मौतें हो सकती थीं। मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सिंह ने कहा, यदि मृतक के परिजन शिकायत करते हैं, तो पूरी जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि 26 अप्रैल को मौत का आधिकारिक आंकड़ा केवल सात था। यह दूसरी बार है जब पारस अस्पताल चर्चा में रहा है। पिछले साल इसी अस्पताल को लॉकडाउन मे विसंगतियों की वजह से बंद कर दिया गया था और मरीजों को सेफई अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा था।
लखनऊ में राज्य सरकार पहले ही आरोपों की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे चुकी है। प्रियंका गांधी वाड्रा समेत विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार शाम अस्पताल के गेट पर मालिकों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर नारेबाजी की।