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अहमदाबाद ब्लास्ट केस : कोर्ट के फैसले के बाद आखिर क्यों चर्चा में है आजमगढ़?

अहमदाबाद में साल 2008 में सिलसिलेवार हुए 21 ब्लास्ट केस में स्पेशल कोर्ट ने 49 दोषियों में 38 को मौत की सजा और 11 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई। कोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला चर्चा में है।

अहमदाबाद में साल 2008 में सिलसिलेवार हुए 21 ब्लास्ट केस में स्पेशल कोर्ट ने 49 दोषियों में 38 को मौत की सजा और 11 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई। कोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला चर्चा में है क्योंकि मौत की सजा पाने वाले 38 लोगों में पांच आजमगढ़ के निवासी हैं। इनके परिजन तथा अन्य कई स्थानीय लोग इस फैसले को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की बीजेपी की कोशिश के तौर पर देखते हैं और इस निर्णय के समय पर सवाल उठा रहे हैं।
बम धमाके के मामले में मौत की सजा पाए संजरपुर निवासी मोहम्मद सैफ के पिता शादाब अहमद ने शनिवार को एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा, “निचली अदालत पर वैसे भी हमें यकीन नहीं था। अब हम उसके फैसले को हाई कोर्ट में जरूर चुनौती देंगे।” उन्होंने आरोप लगाया, “ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए इस वक्त यह फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने पिछले साल तीन सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन उसे करीब पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के ठीक बीच में सुनाया जाना कई सवाल खड़े करता है।”
समाजवादी पार्टी ने कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ता अहमद ने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस फैसले को एक मौके के तौर पर लपकना और यह कहना कि अहमदाबाद बम धमाके में मौत की सजा पाए व्यक्ति का पिता समाजवादी पार्टी के लिए वोट मांग रहा है, भी उनके इरादों की तरफ साफ इशारा देता है।” मौत की सजा पाए संजरपुर निवासी आरिफ के भाई अमीर हमजा ने कहा “निचली अदालत से वैसे भी इंसाफ की उम्मीद नहीं थी। पूरा मामला राजनीतिक है। हम हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।”
हालांकि सजा पाए बाकी लोगों के परिजन इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में निचली अदालत के फैसले के समय पर सवाल उठा रहे हैं। संजरपुर के निवासी अली अहमद ने कहा कि कोर्ट का फैसला ऐसे वक्त पर आया है कि इस पर सवाल खड़े होना लाजमी है। इस निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाना चाहिए।
कोर्ट के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी पर हमलावर BJP
इस बीच, बीजेपी अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में निचली अदालत के फैसले को लेकर सपा पर हमलावर हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को यह निर्णय आने के बाद कानपुर में अपनी एक चुनावी सभा में कहा कि सपा आतंकवादियों को संरक्षण देने वाली पार्टी है और अहमदाबाद बम धमाके के मामले में सजा पाए एक अभियुक्त का पिता इसी पार्टी के लिए वोट मांग रहा है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह कोर्ट का फैसला है और इससे उनकी पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। जहां तक मुख्यमंत्री के इस मामले को लेकर सपा पर किए गए कटाक्ष की बात है तो वह बिल्कुल सही है कि सपा आतंकवादियों का साथ देती रही है।
बीजेपी द्वारा आजमगढ़ को एक बार फिर बदनाम करने की कोशिश
आतंकवाद के आरोप में बेगुनाह मुसलमानों को पकड़े जाने के खिलाफ आवाज उठाने वाले रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने आरोप लगाया कि इस फैसले से एक बार फिर आजमगढ़ और मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है। यादव ने कहा कि आतंकवाद के मामलों में जितने मुसलमानों को सजा सुनाई गई है उससे कहीं ज्यादा को बाइज्जत बरी भी किया जा चुका है लेकिन यह तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति की नाकामी है कि वह इस सकारात्मक पहलू को सामने नहीं रखती। 
विधानसभा चुनाव पर कोर्ट के इस फैसले के प्रभाव के बारे में राजीव यादव ने कहा कि बीजेपी ने अपने तयशुदा एजेंडा के तहत आजमगढ़ को एक बार फिर बदनाम करने की कोशिश शुरू कर दी है। मगर वक्त गुजरने के साथ लोगों को एहसास हो गया है कि असलियत क्या है।
आतंकवाद के मामले में मुसलमानों की गिरफ्तारी के खिलाफ अभियान चलाने वाले राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने सारे मुद्दे नाकाम होने के बाद बीजेपी एक बार फिर मुसलमानों को आतंकवाद के नाम पर बदनाम कर ध्रुवीकरण के अपने पुराने एजेंडे पर लौट आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में सुनाया गया फैसला भी इसी की एक कड़ी है।

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