भारत में ज्ञानवापी मस्जिद चर्चा का केंद्र बनी हुई है, वहीं सियासी दल भी इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का भी काम कर रहे हैं। बहुत से नेताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिली शिवलिंग पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, इसी कड़ी में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रवक्ता और नेता दानिश कुरैशी को साइबर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल दानिश कुरैशी पर शिवलिंग को लेकर विवादित ब्यान देने का आरोप लगाया गया है। एआईएमआईएम प्रवक्ता ने सोशल मीडिया पर यह विवादित ब्यान दिया, जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे से शुरू हुआ पूरा विवाद
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद में नंदी के ठीक सामने बने कुएं में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। हालांकि इस दावे में कितनी सच्चाई है इस बात का पता सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश होने के बाद ही चलेगा। बता दें कि यह शिवलिंग मिलने का दावा हिंदू पक्ष की ओर से किया जा रहा है लेकिन मुस्लिम पक्ष के लोग इस बात से साफ़ इंकार कर रहे हैं। उनके मुताबिक कुएं के अंदर कोई शिवलिंग नहीं है बल्कि फव्वारा है जो हर वजू खाने में होता है। हिंदुओं के मुताबिक यह पत्थर की संरचना शिवलिंग के आकर की है, वहीं मुस्लिमों का सवाल है कि यह कैसे तय किया गया है कि वह संरचना पत्थर की ही है?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया केंद्र का घेराव
वहीं मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है। बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उसके वकीलों को विधिक सहायता मुहैया कराने का फैसला किया है। बोर्ड ने इबादतगाहों पर विवाद खड़ा करने की ‘असल मंशा’ के बारे में जनता को बताने के लिए जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन चलाने का भी निर्णय लिया है। बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने बुधवार को बताया कि बोर्ड की कार्यकारी समिति (वर्किंग कमेटी) की मंगलवार देर रात एक आपात वर्चुअल बैठक हुई जिसमें कई अहम फैसले लिए गए।