उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा 16 लाख कर्मचारियों को एक जनवरी 2020 से दिए जाने वाले अतिरिक्त डीए (महंगाई भत्ता) को रोकने के निर्णय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने तुगलकी फैसला करार दिया है। उन्होंने कहा है कि राजस्व की कमी का बहाना बनाकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के भत्ते पर रोक लगाना योगी सरकार का फैसला गलत है इससे राज्य के 16 लाख कर्मचारी और 11.8 लाख पेंशन-धारक प्रभावित होंगे।
अजय लल्लू ने कहा कि लॉकडाउन महामारी के समय प्रदेश के डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारी, शिक्षक समेत सभी कर्मचारियों पर दो गुना काम का बोझ है। ऐसे समय में उनका डीए और डीआर को सस्पेंड करना उन्हें हतोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार निजी कंपनियों एवं उद्योगों से अपील करती है कि अपने कर्मचारियो का वेतन न काटे और समय से पहले वेतन दे, वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा खुद के कर्मचारियों का हक मारना दुर्भाज्ञपूर्ण होगा।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सभी कर्मचारी संगठनों ने अपनी क्षमता के अनुसार खुद आगे आकर प्रदेश के राहत कोष में मदद दी है। सरकार द्वारा इस कर्मचारी विरोधी फैसले से सभी कर्मचारी नाराज है और आंदोलन कर सकते है। उन्होने कहा कि भत्तों पर रोक लगने से कार्मिकों को इस समय जो वेतन मिल रहा है वह कम मिलेगा। भत्तों की कटौती से सबसे अधिक नुकसान सचिवालय के कार्मिकों को होगी।
नगर प्रतिकर भत्ता और सचिवालय भत्ता नहीं मिलने से सचिवालय में समूह घ से समूह क तक के अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रतिमाह 1500 से लेकर 3500 रुपए वेतन कम मिलेगा। उन्होने कहा कि कोरोना महामारी के समय मे ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिये सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।