समाजवादी पार्टी की ओर से विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन देश में बढ़ती महंगाई, किसानों की मांग और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बीजेपी सरकार के खिलाफ पैदल मार्च का आयोजन किया गया था, जिसकी अगुवाई अखिलेश यादव ने की थी। इस पैदल मार्च को लखनऊ पुलिस द्वारा रोक दिया गया था, जिसके बाद अखिलेश यादव ने भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
वही, अखिलेश के आरोप पर सीएम योगी ने भी पलटवार किया था और उनके मार्च को अनैतिक बताया था। इस बीच अब तक़रीबन तीन साल बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने अखिलेश यादव का समर्थन किया है। आज पूर्व सीएम मायावती ने अखिलेश यादव का बचाव करते हुए भाजपा पर हमला बोला है।
मायावती का पहला ट्वीट
मायावती ने आज अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए है। उन्होंने सबसे पहले अपने ट्वीट में लिखा, ‘विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे और लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक।’
वही, उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है, वह अनुचित और निन्दनीय। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की मांग।
सरकार कर रही लापरवाही
बता दें, मायावती ने तीसरे ट्वीट में लिखा , ‘महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।’