उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की भविष्यनिधि घोटाले के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार बताते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके इस्तीफे की मांग करते हुए मामले की जांच उच्च अथवा सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से कराने की सलाह दी है।
अखिलेश यादव ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि भविष्यनिधि घोटाले को लेकर उनकी सरकार पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है। समाजवादी सरकार के कार्यकाल में एक भी पैसा डीएचएफएल को नहीं दिया गया। इस मामले में हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी इस बात की गवाह है कि योगी सरकार ने बिजली कर्मचारियों की भविष्यनिधि की पहली किस्त डिफाल्टर कंपनी डीएचएफएल को दी।
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उन्होने कहा कि पिछले ढाई साल से भविष्यनिधि का पैसा डीएचएफएल को दिया जा रहा था। इसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की है। इसलिए उन्हे अविलंब इस्तीफा दे देना चाहिए बल्कि आज ही समाजवादी सरकार के कार्यकाल में बने मेंदाता अस्पताल के उदघाटन से पहले उन्हे इस्तीफा दे देना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि बिजली कर्मचारियों के हित से जुडे इस संवेदनशील मामले की जांच रातोंरात सीबीआई से कराने का राज्य सरकार का फैसला समझ से परे है और इससे उनकी मंशा पर सवालिया निशान खडे होते है। इस मामले की सच्चाई बाहर लाने के लिए उचित होगा कि मामले की जांच सिटिंग जज से करायी जाए।
उन्होने कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल में एक भी पैसा डीएचएफएल को नहीं दिया गया। एक सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री योगी को विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को फिलहाल बाहर कर देना चाहिए क्योंकि इनके रहते सच्चाई बाहर नहीं आ सकती।