कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को दावा किया कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले।
भाजपा सरकार चंद अमीर मित्रों के फ़ायदे के लिए पूरे देश के किसान को न ठगे और आज की वार्ता में कृषि क़ानून वापस ले. सच तो ये है कि भाजपा का ज़मीनी कार्यकर्ता भी यही चाहता है क्योंकि वो आम जनता के बीच जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है.
भारत का राजनीतिक नेतृत्व इतना बंजर कभी न था. pic.twitter.com/hwzTWTGEm3
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 30, 2020
अखिलेश ने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा सरकार चंद अमीर मित्रों के फ़ायदे के लिए पूरे देश के किसानों को न ठगे और आज की वार्ता के बाद कृषि क़ानून वापस ले।” उन्होंने कहा, “सच तो ये है कि भाजपा का ज़मीनी कार्यकर्ता भी यही चाहता है, क्योंकि वह आम जनता के बीच जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। भारत का राजनीतिक नेतृत्व इतना बंजर कभी न था।”
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार पर तकरार का समाधान तलाशने के लिए बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के दौरान भी तीन केंद्रीय मंत्रियों के सामने 40 किसान नेता होंगे। विज्ञान-भवन में आज (बुधवार) दोपहर दो बजे होने जा रही वार्ता के लिए किसान नेता सिंघु बॉर्डर से प्रस्थान कर चुके हैं।
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सू़त्रों ने बताया कि आज की वार्ता में भी सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश मौजूद रहे। साथ ही, वार्ता के दौरान कृषि सचिव संजय अग्रवाल और कृषि मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले पांच दिसंबर को पांचवें दौर की वार्ता भी तीनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ 40 किसान नेताओं ने की थी, लेकिन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान नेताओं के अड़े जाने की वजह से वार्ता विफल रही।