लोकसभा चुनाव में वाराणसी से भारी बहुमत से जीत कर लगातार दूसरी बार सांसद बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक नोटिस जारी किया है। प्रधानमंत्री से 21 अगस्त तक कोर्ट ने नोटिस का जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने एक निजी समाचार चैनल समेत अन्य विपक्षियों को पक्षकार से हटाने की याचिका की मांग स्वीकार कर ली है। याचिका अधिवक्ता को इस आशय की अर्जी दाखिल करने का समय दिया है।
सूचना के अनुसार बीएसएफ से बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव की चुनाव याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता ने दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र ने बहस की।याचिकाकर्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए उसने नामांकन पत्र दाखिल किया था। परन्तु नामांकन पत्र में गलत जानकारी देने की बात कहकर उसे रद्द कर दिया गया।
मुझे आपत्तियों पर अपना पक्ष रखने का भी समय नहीं दिया गया।जबकि कानून में लिखा है कि अपना पक्ष रखने के लिए उम्मीदवार को 24 घंटे का समय मिलना चाहिए,जो उसे नहीं दिया गया।याचिकाकर्ता ने चुनाव अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राजनितिक दबाव में ऐसा निर्णय लिया है। याचिकाकर्ता ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है।
आपको बता दें कि उम्मीदवार का नामांकन इसीलिए रद्द हुआ है क्योकि उसने बीएसएफ से अपनी बर्खास्तगी की जानकारी क्षेत्रीय चुनाव आयोग से छिपाई थी। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने चुनाव आयुक्त सहित चुनाव अधिकरियों व न्यूज चैनल को पक्षकार बनाने पर आपत्ति जताई, जिस पर याचिकाकर्ता ने पक्षकार को हटाने की मांग की।
अदालत ने याची को अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। साथ ही कोर्ट ने पंजीकृत डाक से पीएम मोदी को नोटिस भेजने का आदेश दिया है। इसके आलावा अदालत ने नोटिस का प्रकाशन दो समाचार पत्रों में कराने को भी कहा है।