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कोरोना वायरस के बीच भी राम जन्मभूमि में नवरात्रि पर आरती में शामिल हो सकेंगे श्रद्धालु

अयोध्या : जहां एक ओर देश में कोरोना वायरस का प्रकोप छा रखा है लोग किसी भी भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से कतरा रहे हैं और देश के कई राज्य सरकारों ने अतिरिक्त भीड़ वाली जगहों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है तो वहीं दूसरी ओर इस राम नवमी त्योहार के दौरान अगले महीने रामजन्मभूमि परिसर में पहली बार श्रद्धालुओं को ‘आरती’ में शामिल होने की अनुमति मिलेगी। रामलला की मूर्तियों को वर्तमान में अस्थायी मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर स्थापित करने की व्यवस्था की जा रही है। 

भगवान राम के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाने वाला रामनवमी त्योहार उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद आ रहा है। फैसले में विवादित जमीन को एक न्यास को सौंपने का आदेश दिया गया था ताकि वहां राम मंदिर का निर्माण हो सके। 

कोरोना वायरस फैलने के बीच दो अप्रैल को रामनवमी उत्सव को रद्द करने की मांग की जा रही थी लेकिन स्थानीय प्रशासन इसे जारी रखने को इच्छुक है। न्यास ने श्रद्धालुओं को जुलूस देखने की अनुमति दी है और त्योहार के बजट को 51 हजार रुपये से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दिया है। राम जन्मभूमि में 1992 से पुजारी महंत सतेन्द्र दास ने कहा कि नये कोष के आवंटन से वे बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। 

महंत दास ने कहा, ‘‘हां इस वर्ष श्रद्धालु रामनवमी पर आरती देख सकते हैं। मूर्तियों को 25 मार्च को नये स्थान पर स्थानांतरित किया जा रहा है (वर्तमान स्थान से 250- 300 मीटर दूर)।’’ दास ने कहा, ‘‘हर महीने करीब दस लाख रुपये चढ़ावा आता है लेकिन हमें केवल 51 हजार रुपये मिलता है। बढ़े हुए बजट के साथ इस वर्ष ‘प्रसाद’ की गुणवत्ता भी ज्यादा अच्छी होगी।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष भगवान के लिए नया वेलवेट का परिधान बनेगा। साथ ही हर वर्ष हम एक क्विंटल पंजीरी और 50 किलोग्राम पंचामृत बांटते हैं लेकिन इस वर्ष हम तीन क्विंटल पंजीरी और एक क्विंटल पंचामृत बांटेंगे।’’ यह भी पता चला है कि नवरात्रि के पहले दिन 25 मार्च के अहले सुबह भगवान राम और उनके तीन भाईयों -- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमाएं गर्भगृह से नये अस्थायी जगह पर एक बुलेटप्रूफ स्थान पर स्थानांतरित की जाएंगी।