सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के सांसद मोहम्मद आजम खान के बेटे नवाज मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में निर्वाचन रद्द करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
अदालत ने इस आधार पर नवाज मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान का निर्वाचन रद्द कर दिया था कि 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी उम्र कम थी और वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने निर्वाचन आयोग और रामपुर में स्वार विधानसभा क्षेत्र से मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान के निर्वाचन को चुनौती देने वाले प्रतिद्वंद्वी बसपा उम्मीदवार नवाज अली खान को नोटिस जारी करके उनके जवाब मांगे हैं।
पीठ ने कहा कि स्कूल रिकॉर्ड के अलावा अन्य दस्तावेज पेश किए गए हैं जिनमें दर्शाया गया है कि मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान चुनाव लड़ने के योग्य थे और इन दस्तावेजों की वजह से उत्पन्न शंकाओं के कारण पीठ मामले की सुनवाई करेंगी। पीठ ने कहा, “हमने इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश पढ़ा है, यह सबूत पर आधारित है।”
अब्दुल्ला ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुये 17 दिसंबर को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 2017 के चुनाव के लिये नामांकन पत्र दाखिल करते समय वह 25 साल के नहीं हुये थे और इसलिए वह विधानसभा का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे।
बसपा के पराजित उम्मीदवार नवाज काजिम अली खान ने अब्दुल्ला खान के निर्वाचन के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर याचिका में दावा किया था कि निर्वाचित विधायक की वास्तविक जन्म तिथि 30 सितंबर, 1990 नहीं बल्कि एक जनवरी, 1993 है। अब्दुल्ला खान ने नामांकन पत्र में अपनी जन्म तिथि 30 सितंबर, 1990 लिखी थी।
अब्दुल्ला खान राज्य विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 11 मार्च 2017 को समाजवादी पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुये थे। इस निर्वाचन को चुनौती देते हुये हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि अब्दुल्ला खान के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और वीजा पर सपा नेता की जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 दर्ज है। उच्च न्यायालय ने अपने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया था कि निर्वाचन आयोग और उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को आगे की कार्रवाई के लिये इस फैसले से अवगत कराया जाये।