देश की राजनीति की दिशा तय करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव में वर्चुअल माध्यमों से चुनाव प्रचार करने की अनिवार्यता के कारण राजनीतिक दलों के तकनीकी युद्ध कौशल की भी कड़ी परीक्षा हो रही है। वैश्विक महामारी कोविड-19 की तीसरी लहर के कारण चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक सभाओं और रैली आदि पर पाबंदियों के चलते 7 चरणों में संपन्न होने वाले चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका निर्णायक हो चुकी है।
ऑनलाइन हुई UP चुनाव में प्रचार की लड़ाई
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने सूचना प्रौद्योगिकी की अहमियत को समझते हुए अपने पार्टी मुख्यालयों पर बाकायदा वॉर रूम बना रखे हैं। इनमें तकनीक और राजनीति के जानकारों की प्रशिक्षित टीमें मौजूद है। इनकी मदद से वाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम में बूथ स्तर तक बने सैंकड़ों हजारों ग्रुप के जरिये मतदाताओं के दिलों दिमाग पर कब्जा करने की रणनीति पर सलीके से काम चल रहा है।
डिजिटल वॉर में BJP ने बना रखी है बढ़त, जानें अखिलेश ने क्या कहा
डिजिटल वॉर में हालांकि भाजपा ने अन्य दलों की अपेक्षा बढ़त बना रखी है। इस बात को हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करते हुए कहा था कि डिजिटल लड़ाई में भाजपा फिलहाल काफी आगे है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार सपा अध्यक्ष के ईमानदार स्वीकरोक्ति को इस लिहाज से समझा जा सकता है कि भाजपा ने पांच साल पहले ही डिजिटल प्रचार और खुद को वर्चुअल संवाद के तौर पर खड़ा करने की बुनियाद रख दी थी। इसके लिये पार्टी ने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी करना शुरू कर दिया था जिसका परिणाम आज चुनाव में साफ दिख रहा है।
डिजिटल वॉर में सपा, भाजपा से कतई पीछे नहीं है
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि डिजिटल वॉर में सपा, भाजपा से कतई पीछे नहीं है। पार्टी की वर्चुअल बैठकें हो रही है। इनमें जमीनी स्तर तक के कार्यकर्ताओं से बेहतर संवाद स्थापित किया जा रहा है। पार्टी की रणनीति साझा करने में डिजिटल प्लेटफार्म की अहमियत सामने आ रही है। वहीं फेसबुक, यूट्यूब और वाट्सऐप के जरिये पार्टी की हर छोटी बड़ी घटना अथवा जानकारी को साझा किया जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत अन्य पदाधिकारी लंबे समय से ट्विटर पर सक्रिय है।
भाजपा, आप, सपा और कांग्रेस ने बनाए डिजिटल वॉर रूम
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा विधानसभा चुनाव में फेसबुक लाइव, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप की भूमिका किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में हवा बनाने में महत्वपूर्ण हो सकती है। भाजपा, आप, सपा और कांग्रेस ने तो बाकायदा अपने डिजिटल वॉर रूम बना रखे है जहां उनकी आईटी सेल की टीम इन संसाधनो का बेहतरीन इस्तेमाल कर रही है वहीं कई छोटे दलों ने अपनी इस मुहिम को परवान चढ़ने के लिये डिजिटल विज्ञापन एजेंसियों की मदद ली है।
ये एजेंसियां न सिर्फ यूट्यूब लाइव के लिये जरूरी न्यूनतम एक हजार सब्सक्राइबर बनाने में सहयोग करती है बल्कि एडवरटाइजिंग के जरिये पार्टी विशेष की क्लिप्स को फ्री यूट्यूब सब्सक्राइबर को देखने के लिये बाध्य करती हैं।