उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहा अपराध के मामले ज्यादातर देखे जाते है। हाल के दिनों में बढ़ते साइबर अपराध के मामलों को देखते हुए और ऐसे मामलों से निपटने के लिए तकनीकी जानकारी देने के लिए राज्य भर के हर पुलिस स्टेशन में एक साइबर हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्णय लिया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अभियान के हिस्से के रूप में, पुलिस विभिन्न पहलों की मदद से जागरूकता भी पैदा करेगी कि लोग साइबर अपराधियों के शिकार होने से खुद को कैसे बचा सकते हैं। प्रत्येक सीएचडी पर साइबर अपराध के मामलों को संभालने में विशेषज्ञता वाले कम से कम दो प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों को नियुक्त किया जाएगा।
वर्तमान में, राज्य भर में रेंज पुलिस कार्यालयों में 18 साइबर पुलिस स्टेशन हैं। इन साइबर पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज करने के अलावा, साइबर धोखाधड़ी और धोखाधड़ी के मामले अक्सर पुलिस थानों में सामने आते हैं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज हो जाते हैं। इसके अलावा, पुलिस अधिकारियों ने साइबर अपराधों के पीड़ितों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। लोग फोन के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश साइबर अपराध के मामले साइबर धोखाधड़ी/वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित होते हैं और सलाह दी कि यदि सही समय पर सुधारात्मक उपाय शुरू किए जाते हैं, तो राशि को फ्रीज किया जा सकता है ताकि पीड़ितों के पैसों पर चपत ना लगाई जा सके। अधिकारियों को लगता है कि अधिकांश साइबर-धोखाधड़ी पीड़ितों को इस बात की जानकारी नहीं है कि साइबर अपराध का शिकार होने के बाद उन्हें क्या उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा।