दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। विश्व के अन्य देशों की तरह यह भारत में भी तेजी से अपने पैर पसारता दिख रहा है। देश में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगो की संख्या बढ़कर 152 हो गई है। जिसे लेकर केंद्र तथा राज्य सरकारें अत्यधिक सतर्क हो गई। जिसके मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आंशिक बंद के विकल्प को चुना है।
हाईकोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक केवल बेहद जरूरी मामलों की ही सुनवाई की जाएगी और केवल इन मामलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को ही अदालत परिसर में आने की अनुमति मिलेगी। अदालत ने राज्य सरकार को प्रयागराज में कोरोना वायरस की जांच के लिए एक प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए भी कहा।
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एक अधिसूचना में हाईकोर्ट ने कहा अगर कोई वकील या मुवक्किल उपस्थित नहीं होता है तो मामले को उसी कैप्शन के साथ आगे बढ़ाया जाएगा और मुवक्किल व वकील की अनुपस्थिति के चलते कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि वादकारियों और आगंतुकों को कोई गेट पास नहीं जारी किया जाएगा।
इसके अलावा वकीलों से कहा गया है कि वे अपने मुवक्किलों को अदालत परिसर में न आने की सलाह दें, जब तक कि उनकी उपस्थिति अदालत द्वारा निर्देशित या अपरिहार्य नहीं होती। इस दौरान सभी मध्यस्थता कार्यवाही निलंबित रहेगी और कार्यवाही की तारीख को पुनर्निर्धारित किया जाएगा।
इन सबके अलावा, वकीलों की कैंटीन और बार एसोसिएशन मीटिंग हॉल भी अगले आदेश के जारी होने तक बंद रहेंगे, लेकिन उनकी साफ-सफाई को दैनिक आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा। कोर्ट ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि डॉक्टर्स को पर्याप्त सुविधाओं के साथ अदालत परिसर के हर प्रवेश पर तैनात किया जाएगा और अगर किसी में कोविड-19 से संबंधित कोई लक्षण पाया गया, तो उन्हें परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।