'बालिका वधू' जैसे मशहूर धारावाहिक का डायरेक्टर सब्जियां बेचने पर मजबूर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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‘बालिका वधू’ जैसे मशहूर धारावाहिक का डायरेक्टर सब्जियां बेचने पर मजबूर

बड़े बड़े कलाकारों को ऊँगली पर नचाने वाला डायरेक्टर आज सब्ज़ियां बेच रहा है, महीने में लाखों कमाने वाला दस से बीस हज़ार रूपए में दिन काट रहा है , हमेशा अदाकारों और लाइट की चकाचौंध में रहने वाला व्यक्ति कड़ी धुप में ठेला लेके घूम रहा है।

वक्त भी क्या दिन दिखाती है, बड़े बड़े कलाकारों को उंगली पर नचाने वाला डायरेक्टर आज सब्ज़ियां बेच रहा है, महीने में लाखों कमाने वाला दस से बीस हज़ार रूपए में दिन काट रहा है , हमेशा अदाकारों और लाइट की  चकाचौंध में रहने वाला व्यक्ति कड़ी धुप में ठेला लेके घूम रहा है। कोरोना के इस महाकाल ने अच्छे अच्छे लोगों को बुरे दिन दिखाए दिए।
ये कहानी है ऐसे शख्स की जो बड़े बड़े कलाकारों को अपने इशारों पर नचाता था उन्हें कभी रुलाता तो कभी उन्हें हंसाता, लेकिन वक़्त का पहिया यूं घुमा की आज वो शख्स गलियों में सब्जी का ठेला लेकर घूम रहा है। ये कोई और नहीं बल्कि बालिका वधु जैसे मशहूर धारावाहिक के डायरेक्टर रामवृक्ष गौड़ हैं। कई फेमस टीवी शो और फिल्मों का डायरेक्शन करने में मदद करने वाले रामवृक्ष गौड़ आज पाई-पाई को मोहताज हो गए हैं। उन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए सब्जियां बेचनी पड़ रही है।
रील लाइफ की चकाचौंध और भाग दौड़ वाली जिंदगी जीने वाले डायरेक्टर को अपनी परिस्थितियों से समझौता इस कदर करना पड़ा कि उन्हें परिवार का पेट पालने के लिए सब्जी बेचनी पड़ रही है। हालांकि इन परिस्थितियों में भी डायरेक्टर रामवृक्ष हार नहीं माने, उनका कहना है कि रियल लाइफ और रील लाइफ दोनों चलती हैं।
बता दें की लॉकडाउन में वो अपने बच्चों को परीक्षा दिलाने के लिए गांव आ गए और फिर कोरोना के कारण लगे लॉक डाउन में यहीं फंस गए, रामवृक्ष अब मुंबई का रुख नहीं कर पा रहे है।  परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ी और फिल्मी काम भी बंद हो गया। जिसके बाद मज़बूरी में उन्हें सब्जी बेचकर पेट पालन करना पड़ रहा है। 
बता दें की रामवृक्ष 2002 में अपने दोस्त साहित्यकार शाहनवाज खान की मदद से मुंबई पहुंचे थे। उन्होंने  फिल्म इंडस्ट्री में खुद की जगह बनाने के लिए काफी म्हणत की। पहले लाइट विभाग में काम किया, इसके बाद टीवी प्रोडक्शन में हाथ आज़माया। धीरे-धीरे अनुभव बढ़ा तो निर्देशन का चांस भी मिल गया। निर्देशन का काम रामवृक्ष को पसंद आ गया और उन्होंने इसी क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाने का फैसला कर लिया।
रामवृक्ष बताते हैं कि बालिका वधु, में बतौर यूनिट डायरेक्टर इन्होंने काम किया, इसके बाद इस प्यार को क्या नाम दूं, कुछ तो लोग कहेंगे, हमार सौतन हमार सहेली, झटपट चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी जैसे धारावाहिकों में भी काम करने का अवसर मिला। रामबृक्ष का कहना है की वो सब कुछ ठीक होने के बाद फिर से मुंबई जाएंगे और अपने काम पर फोकस करेंगे।

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