उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित समुदाय की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत के बाद तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन के चार संदिग्ध सदस्य हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में थे, मगर इससे पहले ही उन्हें दबोच लिया गया। इन संदिग्ध सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए एक वेबसाइट के खिलाफ हाथरस पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी की जांच कर रहा है।
वहीं इस मामले की जांच कर रही ईडी ने दावा किया कि मॉरीशस से 50 करोड़ रुपए की फंडिंग की गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 100 करोड़ से अधिक रुपए की फंडिग की गयी है। बता दें कि योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने नागरिक कानूनों के खिलाफ राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए पीएफआई को दोषी ठहराया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब हाल की घटनाओं का उल्लेख कर कहा कि अराजकतावादी तत्व हाथरस की घटना के बाद राज्य में सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। पीएफआई एक विवादास्पद केरल-आधारित समूह है, जिसे 2006 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के रूप में गठित किया गया था, जो अब प्रदर्शनकारियों को उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ संघर्ष करने के लिए उकसाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के संदेह के घेरे में आ गया है।
पकड़े गये युवकों में मुजफ्फरनगर के नगला का रहने वाला अतीकउर्ररहमान मल्लपुरम का निवासी सिद़दीकी, बहराइच जिले के जरवल का निवासी मसूद अहमद और रामपुर जिले की कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले आलम को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उनके कब्जे से मोबाइल, लैपटॉप और शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला संदिग्ध साहित्य भी बरामद किया गया ।