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सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए योगी सरकार का मास्टर प्लान तैयार, वर्षाजल से खेती-किसानी होगी मजबूत

उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त और अतिदोहित इलाकों में पेयजल व खेती के लिए होने वाली पानी की किल्लत प्रदेश की योगी सरकार वर्षाजल से पूरी करेगी। इससे खेती-किसानी मजबूत होगी।

उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त और अतिदोहित इलाकों में पेयजल व खेती के लिए होने वाली पानी की किल्लत प्रदेश की योगी सरकार वर्षाजल से पूरी करेगी। इससे खेती-किसानी मजबूत होगी। 
प्रदेश के सूखाग्रस्त जिलों में किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश सरकार केंद्र के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से 2021-22 में वर्षा आधारित 31 जिलों समेत अतिदोहित व सूखाग्रस्त क्षेत्रों के 4.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में जल संग्रहण की 85 परियोजनाओं को शुरू करने जा रही है। बारिश का पानी अब बेकार नहीं जाएगा, बल्कि उसे अब बड़े पैमाने पर खेती के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। 
इस परियोजना से सूखाग्रस्त इलाकों में पेयजल की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। साथ ही किसानों को खेती के लिए आसानी से पानी भी मिल सकेगा। इसकी प्राथमिक परियोजना प्रतिवेदन (पीपीआर) तैयार करने की जिम्मेदारी ग्रेटर शारदा सहायक समादेश परियोजना अधिकारी को दी गई है। 
भूमि संसाधन विकास व केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वाटरशेड योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके संचालन के लिए जिला स्तर पर वाटरशेड सेल कम डेटा सेंटर (डब्लूसीडीसी) और ग्राम पंचायत स्तर पर जल संग्रहण समिति का गठन किया गया है। इस योजना के जरिए गांवों में जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण करा कर वर्षाजल एकत्र कर सूखे की स्थिति में जल की कमी को पूरा करना है। 
राज्य सरकार के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2009-10 से 2018-19 तक 21219 जल संरचनाओं का निर्माण करते हुए 53978 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित की गई थी। इस योजना के जरिए 5,72,176 लाभार्थियों का कौशल विकास भी किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कार्य योजना बन कर तैयार हो गई है। प्रदेश में 85 वर्षाजल संचयन परियोजनाओं के जरिए किसानों की पानी की किल्लत सरकार दूर करेगी। 

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