समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके परिवार की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस बार उनके बेटे और स्वार सीट से सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उच्चतम न्यायालय से झटका लगा है। शीर्ष कोर्ट ने अब्दुल्ला की याचिका खारिज कर दी है।
उच्चतम न्यायालय ने 2019 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में अब्दुल्ला के विधायक के तौर पर चुनाव को रद्द करने के ऑर्डर दिए थे। उन्होंने स्वार सीट से चुनाव लड़ा था।उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने अब्दुल्ला की याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें की उच्च न्यायालय ने अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था, जिसके चलते उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। अदालत ने पाया था कि 2017 में चुनाव लड़ने के दौरान अब्दुल्ला की आयु 25 वर्ष से कम थी।
नवाब काजम अली खान ने याचिका दायर कर दी थी चुनौती
हाई कोर्ट ने कहा था कि 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला ने उम्र संबंधी फर्जी दस्तावेज पेश किए थे। इस चुनाव को बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता रहे नवाब काजम अली खान ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। नवाब ने बाद में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। उन्होंने याचिका में आरोप लगाए थे कि शिक्षा से जुड़े प्रमाण पत्रों के मुताबिक, सपा नेता के बेटे का जन्म 1 जनवरी 1993 में हुआ है। जबकि, जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार, वह 30 सितंबर 1990 को पैदा हुए। उन्होंने दावा किया कि 2017 चुनाव में उन्हें सहायता पहुंचाने के लिए सर्टिफिकेट जारी कराया गया था। साथ ही यह भी दावा किया था कि अब्दुल्ला को वर्ष 2015 से पहले आधार कार्ड तथा पैन कार्ड नहीं मिले थे।