पुलिस मुख्यालय को प्रयागराज से हटा कर लखनऊ ले जाने के आदेश 25 और 26 जून 2019 को चुनौती देने वाली समाजसेवी एवं कारपोरेटर कमलेश सिंह की जनहित याचिका की अगली सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 12 जुलाई को होगी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई की।
याची की ओर से अधिवक्ता के के राय एवं चार्ली प्रकाश तथा राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की। गोयल का कहना था कि ऐसी याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि मुख्यालय हटाने का न तो कोई गजट नोटिफिकेशन नही है और न/न कैबिनेट का कोई निर्णय नहीं है। हटाने के लिए कोई सर्वे,अध्ययन नहीं किया गया और न ही किसी प्रकार की रिपोर्ट तैयार की गई। ब्रिटिश राज के कानूनी आदेश से स्थापित और एक सौ साल से सफलता पूर्वक संचालित पुलिस मुख्यालय को उच्च पदस्थ नौकरशाहों के सुख सुविधा के लिये किसी अधिकारी के आदेश से नही हटाया जा सकता है।
याचिकाकर्ता कमलेश सिंह का तर्क था कि लखनऊ में ही आठ लाख महीने किराए पर पुलिस भर्ती बोर्ड का कार्यालय चलाया जा रहा है जिसे उस सरकारी भवन में स्तानान्तरित करना चाहिए। इसके अलावा लखनऊ में मंहगे किराए पर कई पुलिस कार्यालय चलाये जा रहे हैं।
लखनऊ में एक भी कर्मचारियों के लिए सरकारी कवार्टर नहीं है जबकि प्रयागराज में 80 फीसदी पुलिस मुख्यालय के लिपिको को क्वार्टर मिला हुआ है।
चयन,पदोन्नति,दंड अपील,बजट,नए निर्माण,वर्दी, सुरक्षा वर्दी की खरीदारी, चिकित्सा देय,मेडल,शहीद परिवारो को वित्तीय सहायता जैसे महत्वपूर्ण कार्य पूरी तरह पुलिस मुख्यालय प्रयागराज से ही होते हैं।