उत्तर प्रदेश के झांसी में खाद्य विभाग की उदासीनता होटल और रेस्तरां में भोजन करने वालों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। दरअसल, सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य पर भयावह असर डालने वाले होटलों और रेस्टोरेंटों में बार बार गर्म करके इस्तेमाल होने वाले तेल पर रोक लगाये जाने के आदेश दिये है लेकिन इस आदेश को अमली जामा पहनाने वाला खाद्य विभाग कर्मचारियों की कमी का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ रहा है।
खाद्य निरीक्षक राजेश द्विवेदी ने सोमवार को यूनीवार्ता से कहा कि इस मामले में होटल, रेस्टोरेंट और हलवाइयों के यहां इस्तेमाल होने वाले तेल के आंकडें अभी हम एकत्र कर रहे हैं। इसमें दो वर्गों में तेल के आंकडे एकत्र करने हैं एक वह होटल जिनके यहां बचने वाला तेल 25 से 50 लीटर है और दूसरे वह जिनके यहां बचने वाला तेल 50 लीटर से अधिक है।
इन आंकडों को जुटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में 23 तारीख तक रिपोर्ट भेजनी है लेकिन निर्धारित समयावधि तक हमारी टीम को ही फुर्सत नहीं है। इस काम के लिए जिले मे कुल आठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं जिनमें से छह की ड्यूटी मतगणना में लगायी गयी है। हालांकि इस बारे मे सभी को सूचित कर दिया गया है अगर वह इस समय तक वह लोग यह आंकडें दे देंगे तो रिपोर्ट आगे बढ़ दी जायेगी।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही फील्ड में काम करते हैं और उन्हें ही पता होता है कि किस दुकान पर कितना तेल बचता है। ऐसे काम में समय अधिक लगता है अगर वह पर्याप्त समय विभाग को दिया जाता है तो पूरी सटीक जानकारी मुहैया करा दी जायेगी लेकिन अगर जल्द से जल्द रिपोर्ट देनी होगी तो स्वभाविक है कि वह हवा हवाई ही होगी। श्री द्विवेदी ने कहा कि इस बचे तेल का कहां किस तरह इस्तेमाल होगा इसकी जिम्मेदारी विभाग की नही है लेकिन अगर कोई ऐसी कंपनी हमासे संपर्क करती है तो कानूनी दायरे मे जो भी संभव मदद होगी हम वह मुहैया करा देंगे।