इतिहासकार ने किया दावा- ज्ञानवापी मस्जिद नहीं बल्कि है मंदिर! आज कोर्ट सुनाएगा फैसला, जानें कुछ अहम तथ्य - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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इतिहासकार ने किया दावा- ज्ञानवापी मस्जिद नहीं बल्कि है मंदिर! आज कोर्ट सुनाएगा फैसला, जानें कुछ अहम तथ्य

विवादों में घिरे वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के सर्वे पर आज स्थानीय कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

विवादों में घिरे वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के सर्वे पर आज दोपहर 12 बजे स्थानीय कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा, बता दें कि फैसला आने से पहले इस सर्वे को लेकर जारी बहस ने नया मोड़ लिया है। दरअसल सर्वे कर रहे वीडियोग्राफर के दावों के बाद कई इतिहासकारों और सामाजिक कार्यक्रताओं ने भी इस मस्जिद पर सवाल उठाए और अपने-अपने दावे किये हैं। एक मशहूर मीडिया चैनल से बात करते हुए इतिहासकार डॉ. राम प्रसाद सिंह ने दावा किया कि ज्ञानवापी कोई मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है, उन्होंने कहा मेरे पास अपने दावों को सत्यापित करने के लिए कुछ तस्वीरें हैं जो इस बात कि गवाही देती हैं कि यह मस्जिद नहीं मंदिर है। ज्ञानवापी में मंदिर के बचे हुए अवशेषों की यह तस्वीरें साफ बताती हैं कि मस्जिद में जिन 3 गुम्बद को बनाया गया है वो मंदिर को तोड़कर बनाया गया है।  
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इतिहासकार ने किया ज्ञानवापी मस्जिद पर बड़ा दावा 
इतिहासकार डॉ. राम प्रसाद सिंह ने आगे कहा कि ‘पत्थर लगाकर दरवाजा बंद किया गया है, अगर इस दरवाजे को खोल दिया जाए तो यह गर्भ गृह की ओर जाता है, जो ठीक बीच वाले गुम्बद के नीचे है। सबसे अहम बात ज्ञानवापी मस्जिद का नाम हो नहीं सकता है, मंदिर तोड़कर उसके मलबे से ही मस्जिद के तीनों गुम्बदों को बनाया गया है। ठीक यही काम मथुरा और अयोध्या में भी किया गया है। इसके साथ ही इतिहासकार ने यह भी कहा कि ‘उत्तर दिशा में गेट जैसी बनी है, यही से अंदर और बाहर जाने का रास्ता है, जो मंदिर का स्ट्रक्चर था वह भी ऐसा ही था। उन्होंने कहा तहखाने की लंबाई 7 फीट है, जिसके अंदर खंडित शिवलिंग और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं।  इतिहास कार के मुताबिक अगर सर्वे पूरा हो वीडियोग्राफी की जाए तो पूरा सच खुल के सामने आ जाएगा। 
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वीडियोग्राफर ने देखीं  थी मंदिर से संबंधित यह अहम चीजें 
इतिहासकार ने कहा कि मेरे पास जो तस्वीरें हैं वो 1991 से 1993 के बीच की हैं, साथ ही उनके मुताबिक नंदी का मुहं मूल ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ है जो यह साफ तोर पर दर्शाता है कि वहां शिवलिंग स्थित रही होगी और यह मस्जिद नहीं मंदिर है।  बता दें कि इतिहासकार डॉ. राम प्रसाद सिंह ने ज्ञानवापी और कशी विश्वनाथ मंदिर पर बहुत सैलून से रिसर्च कर रहे हैं और यह विवाद छिड़ने के बाद उन्होंने अपने तथ्यों को सामने रखा है।  बता दें कि वीडियोग्राफी कर रहे अधिकारी ने यह दावा किया था कि जिस तरफ नंदी मुंह करके विराजमान है वहां मस्जिद की दिवार पर फूलों की  की लड़ियां दिखीं, दक्षिण में स्वास्तिक भी दिखा, कलाकृतियां साफ नजर आती हैं, फन काढ़े हुए विष्णु जी का नाग भी दिखा इसके अलावा श्रृंगार गौरी दीवार पर तराशे हुए नजर आए हैं। 

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