UP में सजायाफ्ता बंदियों की उच्च शिक्षा के लिए राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की पहल - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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UP में सजायाफ्ता बंदियों की उच्च शिक्षा के लिए राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की पहल

उत्तर प्रदेश में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने राज्य की जेलों में बंद सजायाफ्ता बंदियों को स्नातक और परास्नातक स्तर की उच्‍च शिक्षा देने की पहल की है।

अपराध की दुनिया से बाहर निकालने के लिए उत्तर प्रदेश में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने राज्य की जेलों में बंद सजायाफ्ता बंदियों को स्नातक और परास्नातक स्तर की उच्‍च शिक्षा देने की पहल की है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इससे बरेली केंद्रीय जेल के साथ मेरठ, फतेहपुर, अयोध्‍या, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, आजमगढ़, झांसी, फतेहगढ़ वाराणसी और बरेली जिला व नैनी की केंद्रीय जेलों के बंदियों को स्नातक और परास्नातक स्तर की परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा। 
प्रदेश की नैनी जेल के करीब 40 सजायाफ्ता बंदियों की स्नातक और परास्नातक स्तर की पहली परीक्षाएं इसी साल अगस्त में होंगी। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. आर बी सिंह ने बताया कि अब तक सजा काट रहे कैदियों को जेल में ही रहकर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई करने का मौका मिलता था। 
इसके लिए जेल में ही परीक्षा केंद्र का निर्धारण होता था और नियमों के साथ परीक्षा कराई जाती थी, लेकिन अब राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से 12वीं के बाद स्नातक और परास्नातक (बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए, एमकॉम, और एमएससी) के अलावा अन्य प्रोफेशनल डिप्लोमा कोर्स करने का मौका दिया जाएगा।
सिंह ने बताया कि जेल में बंदियों को पढ़ाई के साथ साथ नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जाएगा। अपराध की दुनिया से बाहर निकालने के लिए देश के कई बड़े प्रोफेसरों और विशेषज्ञों के माध्यम से समय समय पर बंदियों की काउंसलिंग कराई जाएगी। 
उन्होंने बताया कि बरेली की दोनों जेल में अध्ययन केंद्र खोला गया है और नई शिक्षा नीति के अनुसार जेल में उच्च शिक्षा के लिए सुविधा दी जा रही है। इसके लिए किसी भी बंदी से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। दोनों ही जेल से अब तक कई बंदियों ने पंजीकरण कराया है। प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जो सितंबर तक चलेगी। जेल में ही बंदियों के लिए ऑनलाइन क्लास की भी व्यवस्था रहेगी।
सिंह ने बताया कि जेल में ऐसे भी सजायाफ्ता कैदी हैं जो हाईस्कूल तक भी पढ़े नहीं हैं। वह जेल के अंदर दरी, जूता, कालीन, कपड़ा और फर्नीचर आदि बनाने का कार्य करते हैं। ऐसे सजायाफ्ता कैदियों को उप्र राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज की ओर से योग्य डिजाइनरों, विशेषज्ञों, इंजीनियरों से प्रशिक्षण तथा डिप्लोमा दिया जायेगा।

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