UP में पराली जलाने की समस्या एक-तिहाई से भी कम, सरकार से नाराज किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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UP में पराली जलाने की समस्या एक-तिहाई से भी कम, सरकार से नाराज किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दावा किया है कि राज्य सरकार की कोशिशों की वजह से प्रदेश में पराली जलाने की समस्या एक-तिहाई से भी कम हुई है।

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दावा किया है कि राज्य सरकार की कोशिशों की वजह से प्रदेश में पराली जलाने की समस्या एक-तिहाई से भी कम हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेत से पराली निकालने में इस्तेमाल होने वाले यंत्रों पर 80% अनुदान देने समेत इस समस्या को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
उधर, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली इस गतिविधि को अंजाम देने को लेकर किसानों के खिलाफ मामले दर्ज होने से नाराज कृषक संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर इन मामलों को वापस नहीं लिया गया तो वे आंदोलन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सख्त रुख की वजह से पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सख्ती से पेश आ रही है। राज्य में विभिन्न जिलों में पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए  हैं।
राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने रविवार को कहा कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है। कोर्ट ने एक समिति बनाई है, जो हर 15 दिन में पराली जलाने के मामलों पर रिपोर्ट देगी। ऐसे में सरकार को पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी। उन्होंने कहा, सरकार पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वह खेत से पराली निकालने के लिए इस्तेमाल होने वाले यंत्रों पर 80% अनुदान दे रही है। कई किसान मिलकर एक यंत्र आराम से खरीद सकते हैं और अपनी -अपनी जरूरत के हिसाब से पराली का निस्तारण कर सकते हैं।
शाही ने दावा किया कि सरकार की कोशिशों की वजह से प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं एक -तिहाई से भी कम हो गयी हैं। राज्य सरकार हाल के वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं वाले 800 से ज्यादा गांवों को चिह्नित करके वहां महिला समूहों, किसान उत्पादक संगठनों, केन यूनियन और साधन सहकारी समितियों के माध्यम से 5 लाख रुपये की मशीन की खरीद पर 4 लाख रुपये का अनुदान दे रही है। किसान उत्पादक समूह पराली निकालने के उपकरण किसानों को किराए पर भी देंगे।
इस बीच, पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ मामले दर्ज होने पर किसान संगठनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार इस मसले का स्थायी हल निकाले, नहीं तो वे आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधे लाल ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है। सरकार किसानों पर दर्ज मामले वापस ले, नहीं तो आंदोलन शुरू किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो जंतर-मंतर पर धरना दिया जाएगा। आगामी 25 अक्टूबर को इस सिलसिले में बैठक कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित का आरोप है कि सरकार पराली जलाने के मसले का समाधान नहीं निकालना चाहती। सरकार को लगता है कि मामला दर्ज करने से किसान डर जाएंगे। सारे मामले डंडा चला कर नहीं हल होते हैं। सरकार को पता ही नहीं है कि वह जो नीतियां बना रही है, वे नीचे जाकर लागू हो पाएंगी भी या नहीं। सरकार किसानों से जुड़ी नीतियां बनाने के लिए किसानों से ही संपर्क नहीं करती।
उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी फैक्टरियों से भारी मात्रा में प्रदूषण फैल रहा है। सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। वह सिर्फ किसानों का ही हाथ मरोड़ रही है। सरकार फैक्टरियों को प्रदूषण के तमाम मानकों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं कर पा रही है, चीनी मिलें प्रदूषण फैला रही हैं, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के बिजली संयंत्रों से नुकसानदेह राख उड़ाई जा रही है, मगर कानून का डंडा सिर्फ किसानों पर चल रहा है। दीक्षित ने कहा कि जैसे नगर पालिका या नगर निगम घरों से निकलने वाले कूड़े को इकट्ठा करके ले जाते हैं, ठीक उसी तरह सरकार को पराली उठाने के लिए भी कोई व्यवस्था बनानी चाहिए।
दूसरी ओर, भाकियू नेता राधेलाल भी कहते हैं कि सरकार अपने कर्मचारी नियुक्त करे, या फिर कोई हेल्पलाइन तैयार करे ताकि जिन किसानों को पराली की आवश्यकता न हो, उनके यहां से उसे उठवा लिया जाए। इससे समस्या का आसानी से समाधान किया जा सकता है। हालांकि कृषि मंत्री शाही इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि कोई भी गांव- गांव में इतनी भारी मात्रा में कूड़ा इकट्ठा करके नहीं ले जा सकता। इसके लिए अरबों रुपयों की जरूरत होगी। सरकार हर काम नहीं कर सकती। वह आखिर उस कूड़े को कहां रखेगी?

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