लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में कच्ची शराब के सेवन से लोगों की मौत की जांच के लिये राज्य सरकार द्वारा गठित अनुसंधान दल के अनुसार राज्य में अवैध शराब के प्रचलन का मुख्य कारण सरकारी देशी मदिरा से उसकी कीमत करीब-करीब आधी और उससे कम होना है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न जिलों में कच्ची शराब के सेवन से हुई मौतों की जांच के लिए एक विशेष अनुसंधान दल का गठन किया था। प्रवक्ता के अनुसार, ‘‘दल ने जांच के बाद अपनी संस्तुतियां गृह विभाग को सौंप दीं। इन संस्तुतियों के आधार पर गृह विभाग ने सम्बंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।’’
गठित विशेष अनुसंधान दल की संस्तुतियों में बताया गया, ”प्रदेश में अवैध शराब के प्रचलन का मुख्य कारण सरकारी देशी मदिरा से उसकी कीमत करीब-करीब आधी एवं उससे कम होना पाया गया है।”अनुसंधान दल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देशी शराब एवं विदेशी मदिरा दोनों का निर्माण ईएनए (एक्स्ट्रा नेचुरल एल्कोहल) से किया जा रहा है। ईएनए का तुलना में रेक्टीफाइट स्प्रिट प्रतिलीटर लगभग पांच रुपये सस्ती होती है।
दल ने सुझाव दिया, ‘‘देशी शराब के अन्य अलग ब्राण्ड का निर्माण रेक्टीफाइट स्प्रिट से करते हुए 28 प्रतिशत वी/वी का एक अलग ब्राण्ड का पाउच बनाये जाने पर विचार किया जाये। इस पाउच का दाम कम होगा, जिस कारण अवैध स्रोतों से खरीदी जाने वाली मदिरा के प्रचलन में अपने आप कमी आयेगी। ऐसा करने पर सरकारी मदिरा की बिक्री की मात्रा में वृद्धि होगी।’’ इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि जहरीली शराब के सेवन से प्रभावित व्यक्तियों के उपचार के दौरान किस प्रकार का उपचार (ट्रीटमेन्ट) किया जाना चाहिए, इस संबंध में चिकित्सालयों की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
दल ने कहा, ”इसलिए यह आवश्यक है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जहरीली शराब के सेवन की दशा में उपचार के संबंध में एसओपी बनाकर जनपदों को निर्देश प्रसारित किये जायें ताकि जनहानि में कमी हो सके।” साथ ही दल ने संस्तुति दी कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अवैध शराब के विरूद्ध व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाये एवं अवैध शराब के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को विस्तार से लोगों को बताया जाये।
दल ने कहा कि इस कार्य में स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाये। प्रत्येक ग्राम में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति, जिसके पास कुछ बजट का प्राविधान भी उपलब्ध होता है, के माध्यम से भी अवैध शराब के विरूद्ध जागरूकता अभियान को उपयोगी बनाने की जरूरत है।