उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पालतू पिटबुल कुत्ते के हमले में महिला की मौत के बाद लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) ने कुत्ते के मालिक और मृतक महिला के बेटे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की घोषणा की है। इसके साथ ही नहर निगम ने पिटबुल को जब्त कर लिया है।
गुरुवार सुबह नगर निगम की टीम बंगाली टोला इलाके में पहुंची और पिटबुल को जब्त कर लिया। कुत्ते के मालिक अमित ने पिटबुल के चेहरे को ढका और उसे नगर निगम की गाड़ी तक पहुंचाया। पालतू कुत्ते के लाइसेंस का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलने के बाद एलएमसी अधिकारियों ने घटना की जांच के आदेश दिए थे।
पिटबुल के स्वभाव पर रिसर्च के लिए पैनल का गठन
पिटबुल को जब्त करने के बाद नगर निगम टीम उसको अपने एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में लेकर आई, जहां उसे स्पेशल केज में रखा गया है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि हमने पिटबुल के लाइसेंस को कैंसिल करके उसे जब्त कर लिया है और उसे स्पेशल केज में रखा गया है, साथ ही उसके स्वभाव पर रिसर्च करने के लिए चार लोगों के पैनल का गठन किया गया है, जो यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि आखिर पिटबुल ने अपनी मालकिन को क्यों मार डाला।
महिला के पेट में 6 सेंटीमीटर गहरे घाव
मृतक सविता त्रिपाठी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक दर्जन से अधिक चोट के निशान सामने आए हैं। सविता के सिर, चेहरे, पेट और जांघ पर चार बड़े घाव थे। उनके पेट में 6 सेंटीमीटर गहरा घाव भी था। पश्चिमी क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त शिवसिम्पी चन्नप्पा ने कहा, “उनकी मौत अत्यधिक खून बहने से हो गई।”
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा, “अमित लाइसेंस पेश नहीं कर सका और टीम के साथ बदतमीजी करता था। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए बुधवार को लाइसेंस पेश करने की बात कहकर टीम उनके घर से लौटी। एलएमसी की टीम फिर उनके घर गई, लेकिन पड़ोसियों ने बताया कि परिवार कुत्तों को उसी घर में किराए पर रहने वाले लोगों के पास छोड़कर परिजन पार्थिव शरीर गंगा में विसर्जित करने गए थे।
इन कुत्तों को पालने से बचें
लखनऊ नगर निगम के पशु कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अरविंद राव ने कहा कि यदि मालिक कुत्तों के लिए पालतू लाइसेंस का उत्पादन करने में विफल रहता है तो कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, नगर निगम आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने लोगों को सलाह दी है कि वे अमेरिकी पिटबुल, रोटवीलर, साइबेरियन हस्की, डोबर्मन पिंसर और बॉक्सर जैसे कुत्तों की नस्लों को पलने से बचें, क्योंकि वे क्रूर हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, “कुत्ते को पालतू बनाने से पहले, हमें नस्ल की प्रकृति और पर्यावरण पर विचार करना चाहिए, जहां वे रहते हैं। विदेशी शिकार नस्लों को हमारे पर्यावरण में समायोजित करना मुश्किल लगता है और हिंसक हो सकता है। इसलिए, उन्हें पालतू जानवर के रूप में नहीं रखा जाना चाहिए।”
इसके बजाय, उन्होंने कहा, अनुकूल छोटी नस्लों को पाला जाना चाहिए। बड़ी नस्लों के पालन में विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए और केवल प्रशिक्षित कुत्तों को ही रखा जाना चाहिए। उनके भोजन की व्यवस्था उनके स्वभाव के अनुसार ही करनी चाहिए और भोजन करते समय कोई भी शामक देने से बचना चाहिए।