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UP की सियासत में नरेंद्र गिरि का गहरा प्रभाव, SP से लेकर BJP तक हर सरकार में कायम था महंत का रसूख

देशभर के साधु संतो की संस्था अखाड़ा परिषद के मुखिया मंहत नरेन्द्र गिरि का हर सरकार में जलवा कायम था। चाहे समाजवादी पार्टी या फिर चाहे भाजपा सरकार सभी दलों में महंत का रसूख कायम रहा है।

देशभर के साधु संतो की संस्था अखाड़ा परिषद के मुखिया मंहत नरेन्द्र गिरि का हर सरकार में जलवा कायम था। चाहे समाजवादी पार्टी या फिर चाहे भाजपा सरकार सभी दलों में महंत का रसूख कायम रहा है। यही कारण है कि उनके निधन पर देश के हर छोटे-बड़े नेता ने दु:ख जताया है। महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज जिले के प्रतापपुर विकासखंड के रहने वाले और प्रयागराज के प्रसिद्ध बाघम्भरी मठ के साथ संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के पीठाधीश्वर थे। 
यूपी की सियासत में उनका बड़ा प्रभाव था। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब भी प्रयागराज जाते तो महंत नरेंद्र गिरि से जरूर मिलते थे। इसके अलावा महंत नरेंद्र गिरि भी समय-समय पर मुख्यमंत्री आवास आते रहते थे। कुंभ 2019 के पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गंगा पूजन कराया था। गृहमंत्री अमित शाह के साथ संगम में डुबकी भी लगायी थी। महंत नरेन्द्र गिरि का हर सरकार में ठीक-ठाक जलवा था। 
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को हनुमान दर्षन कराने से लेकर बाघम्बरी मठ में भोजन की लगी तस्वीरें इस बात का सबूत है। वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक पीएन द्विवेदी ने बताया, महंत नरेन्द्र आखाड़ परिषद के अध्यक्ष थे। संत की दृष्टि में दलगत राजनीति मायने नहीं रखती है। चाहे जिस दल की सरकार हो। भारतीय संस्कृति ऋषि परंपरा वाली है। जो भी सरकार होती शासक होता है वह संतो महात्माओं के सामने नतमस्तक होता था। उनके पास भी लोग जाते थे। वह आर्शीवाद देते थे। 
उन्होंने बताया कि कुंभ की शोभा आखाड़े ही होते हैं। कुंभ क्षेत्र आखाड़ो का शाही प्रवेष और मेला के दौरान शाही स्नान कुंभ के आकर्षण का मुख्य केन्द्र होता है। ऐसी स्थित में शासन और सत्ता के लोग उनके सामने नतमस्तक होंगे ही। यह भी एक बड़ी वजह थी। जिससे नरेन्द्र गिरि का राजनीति में बड़ा सम्मान था। महंत नरेंद्र गिरि संत समाज की अलग-अलग धाराओं को एक साथ जोड़ने के हिमायती रहे और इस मामले में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई।
प्रयागराज के समाजसेवी नरेन्द्र देव पांडेय ने बताया कि सपा सरकार में अखिलेष यादव के संबंध बहुत अच्छे थे। यही कारण है कि 2012 की सरकार में शिवपाल यादव, मंत्री आजम खान कई बार मठ में आए। इसके बाद योगी सरकार आयी उसमें कुंभ का आयोजन हुआ जिसमें नरेन्द्र गिरि की महत्वपूर्ण भूमिका थी। नरेन्द्र गिरि के नेतृत्व में कुशलता से कुंभ संपन्न हुआ। इसके बाद उनके योगी से और संबंध प्रगाड़ हो गए थे। 
संत परंपरा से योगी के आने की वजह से उनके पूर्व से ही महंत नरेन्द्र गिरि से अच्छे रिश्ते रहे हैं। मुख्यमंत्री के प्रयागराज आने पर उन्हें भोजन कराना इसके अलावा लखनऊ में सीएम कार्यालय आना जाने का सिलसिला बना रहा। महंत नरेंद्र गिरि ने देश के कोने-कोने में रहने वाले साधु-संतों को एकजुट किया और सनातन धर्म व संस्कृति का प्रचार शुरू किया। प्रयागराज में हर वर्ष आयोजित होने वाले माघ मेले, अर्ध कुंभ और कुंभ मेले में देश-विदेश से आए हुए साधु संतु का वह नेतृत्व करते थे। 
महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत का मामला देश भर में सुर्खियों में छाया है। अब भी देश भर के साधु संत और महंत के भक्तों तथा करीबियों को इस पर भरोसा नहीं हो रहा कि वह खुद अपनी जिदंगी खत्म कर देंगे। नामचीन संतों और कई नेताओं ने घटना की गहराई से तहकीकात तथा सीबीआइ से जांच पर जोर दिया है। 

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