उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा। ऐसे में बसपा की प्रमुख मायावती ने रविवार को अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक और भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने की घोषणा की। आकाश आनंद की नियुक्ति बहुत पहले ही घोषित थी, लेकिन उसे अब अमलीजामा पहनाया गया है।
मैं आकाश को बसपा से जोड़ूंगी और उसे सीखने का मौका दूंगी
मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के सबसे बड़े पुत्र आकाश अपनी बुआ के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सुर्खियों में आए। मायावती ने बाद में घोषणा की कि आकाश पार्टी से जुड़ेंगे और राजनीति की बारीकियों को मायावती को ट्विटर पर लाने का श्रेय भी आकाश को दिया जाता है। मायावती ने पहले कहा था, यह बसपा विरोधी षड्यंत्र है। इसमें मेरे भतीजे को घसीटा जाना, मुझे इस विषय में सोचने को मजबूर करता है। मैं आकाश को बसपा से जोड़ूंगी और उसे सीखने का मौका दूंगी।
मायावती ने 2017 को अपने भाई और भतीजे को पार्टी कार्यकर्ताओं से रूबरू कराया
लंदन से लौटने के बाद वर्ष 2017 में आकाश पहली बार लोगों के सामने आए। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ठाकुर-दलितों के बीच सहारनपुर में हुई झड़प के बाद बसपा प्रमुख के साथ वहां के दौरे से की। मायावती ने मेरठ में आयोजित एक रैली के दौरान 18 सितंबर 2017 को अपने भाई और भतीजे को पार्टी कार्यकर्ताओं से रूबरू कराया। अब तक आकाश ने उत्तर प्रदेश में अकेले कोई भी रैली नहीं की है, लेकिन अब जब वह बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किए गए हैं तो उन्हें अग्रिम मोर्चे पर लड़ने का मौका मिलेगा।
इससे पहले आकाश आनंद बीएसपी की गतिविधियों को देखते रहे हैं
आकाश आनंद के प्रमोशन को मायावती के उत्तराधिकारी को लेकर पूछे जा रहे सवाल का जवाब भी माना जा सकता है। इससे पहले भी आकाश आनंद बीएसपी की गतिविधियों को देखते रहे हैं। ऐसे में अब उनके प्रमोशन ने साफ कर दिया है कि मायावती उन्हें प्रमोट करना चाहती हैं।
एक बैठक में सेक्टर प्रभारी, जिलाध्यक्ष, विधानसभा चुनाव के सभी प्रत्याशी, बामसेफ तथा भाईचारा कमेटी के संयोजक भी मौजूद थे। 2007 में 206 सीट के साथ उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने वाली बसपा को 2012 में 80 और 2017 में 19 सीट मिली थीं। इसके बाद पार्टी को 2022 में सिर्फ एक सीट मिली है। 2007 में सपा को 97, भाजपा को 51 तथा कांग्रेस को 22 सीट मिली थीं। बसपा का लगातार घटता ग्राफ पार्टी की मुखिया मायावती के लिए बड़ी चिंता का कारण बन रहा है।