बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने संशोधित नागरिकता कानून वापस लिए जाने की केंद्र से मांग करते हुए बुधवार को कहा कि यह ‘दुखद’ है कि सीएए लाने से पहले सरकार ने किसी को भी भरोसे में नहीं लिया। मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘केंद्र ने किसी को भी विश्वास में नहीं लिया। यह अत्यंत दुखद है। इसीलिए देश में हाहाकार मचा है।’’
उन्होंने कहा ‘‘पाकिस्तान सहित पड़ोसी देशों में केवल मुस्लिम ही सरकार के दमन के शिकार नहीं हैं। अपराध और ज्यादतियां तो किसी के भी साथ हो सकती हैं। इसलिए केंद्र को सीएए पर पुनर्विचार करना चाहिए, इसे वापस लेना चाहिए और आम सहमति से एक नया कानून लाना चाहिए।’’
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सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मायावती ने कहा कि केंद्र ने न तो सर्वदलीय बैठक बुलाई और न ही उसने यह विधेयक स्थायी समिति के पास भेजा।
उन्होंने कहा ‘‘बसपा ने केंद्र से बार बार अनुरोध किया कि संशोधित नागरिकता विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए ताकि यह पूरी तरह सही कानून बन सके।’’ मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये के कारण सीएए पहली ही नजर में विभाजनकारी और असंवैधानिक लगता है।
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उन्होंने कहा ‘‘सरकार और भाजपा के तमाम प्रयासों के बावजूद, लोगों में कई तरह के भ्रम बरकरार हैं। और देश भर में इस कानून का अप्रत्याशित विरोध हो रहा है।’’ मायावती ने कहा कि यह कानून उन सभी समुदाय के लोगों पर लागू होना चाहिए, जिन पर जुल्म-ज्यादती हुई है।
बसपा प्रमुख ने सीएए पर कहा कि यहां से जो मुसलमान पाकिस्तान गए हैं, वे भी जुल्म और ज्यादती के शिकार हैं, उन्हें भी यहां लाना चाहिए। उन्होंने उप्र में पुलिस कमिश्नर प्रणाली शुरू किए जाने का स्वागत तो किया, लेकिन यह भी कहा कि सिर्फ नीतियां बनाने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा ‘‘जब तक कानून-व्यवस्था को लेकर सख्ती नहीं होगी, तब ऐसी ही हालत रहेगी।’’
मायावती ने भाजपा नीत केंद्र सरकार और विपक्षी कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा ‘‘देश की स्थिति कांग्रेस काल से भी ज्यादा खराब हो गई है। भाजपा सरकार कांग्रेस की सरकारों की राह पर है बल्कि उससे भी दो कदम आगे है। देश की अर्थव्यवस्था खराब हो गई है, तनाव और भय का माहौल है।’’
उन्होंने कहा ”हमारी पार्टी ख़ासकर कांग्रेस पार्टी और भाजपा को एक ही थाली के चट्टे-बट्टे मानकर चलती है तथा इनसे पूरी दूरी बनाकर, केवल मुद्दों के गुण व दोष के आधार पर ही इनकी केन्द्र की सरकारों को समर्थन देती है ।’’