उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में गैंगरेप के बाद आत्महत्या करने वाली दलित नाबालिग लड़की का पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया है। आठ अक्टूबर को गैंगरेप का शिकार हुई नाबालिग ने मामले में एफआईआर दर्ज न होने से आहत होकर मंगलवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंकित मित्तल ने बताया कि परिजनों की ‘सहमति’ से बुधवार दोपहर बाद बच्ची का अंतिम संस्कार किया गया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में बच्ची के परिजनों ने कुछ लोगों के बहकावे में आकर अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था, लेकिन बांदा के मंडलायुक्त गौरव दयाल और पुलिस महानिरीक्षक के. सत्यनारायण के आश्वासन के बाद वह राजी हो गए।
इस दौरान जिला स्तरीय सभी पुलिस अधिकारी और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। मित्तल ने बताया, ‘‘सामूहिक बलात्कार और आत्महत्या के लिए बाध्य करने के आरोप में किशन उपाध्याय, आशीष और सतीश को मंगलवार की शाम गिरफ्तार किया गया।
वहीं लापरवाही बरतने के आरोप में कर्वी सदर कोतवाली के इंस्पेक्टर जयशंकर सिंह और संबंधित पुलिस चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक अनिल साहू को बुधवार को निलंबित कर दिया गया।’’ उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम में मौत की वजह फंदे से लटकना बताया गया है। इसमें बलात्कार की पुष्टि नहीं होने पर नमूनों को जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है।