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नमामि गंगे परियोजना में साढ़े चार साल में सिर्फ 35 प्रतिशत राशि खर्च हुई

नमामि गंगे परियोजना में पिछले साढे़ चार साल में मात्र 7000 करोड़ रूपये ही खर्च हुए जबकि साल 2015 में योजना शुरू होने के बाद पहले दो वर्ष में कोई धन राशि खर्च नहीं हुई । जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के सचिव ने संसद की स्थायी समिति को यह जानकारी दी ।

नमामि गंगे परियोजना में पिछले साढे़ चार साल में मात्र 7000 करोड़ रूपये ही खर्च हुए जबकि साल 2015 में योजना शुरू होने के बाद पहले दो वर्ष में कोई धन राशि खर्च नहीं हुई । जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के सचिव ने संसद की स्थायी समिति को यह जानकारी दी । 
मंत्रिमंडल ने 13 मई 2015 को एक व्यापक कार्यक्रम के तहत गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिये नमामि गंगे परियोजना को मंजूरी दी थी। इस परियोजना को अगले पांच वर्ष में पूरा करने के लिये कुल 20,000 करोड़ रूपये आवंटित किये गये थे। 
अनुदान की मांग 2019-20 पर विचार करने वाली जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग के सचिव ने 23 अक्टूबर 2019 को मौखिक साक्ष्य के दौरान बताया ‘‘ मैं इस बात से सहमत हूं कि अब तक लगभग 7000 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं । आरंभिक दो वर्षों में हमने धन राशि जारी की लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) इसे खर्च नहीं कर पाया । ऐसा इसलिए है क्योंकि मूलत: गंगा और उसकी सहायक नदियों की पहली मुख्यधारा पर बसे कस्बों की सूची बनाने, उसकी स्थिति, मूल्यांकन एवं व्यवहार्यता अध्ययन, जलमल की मात्रा, जल मल शोधन की वर्तमान क्षमता, जल मल शोधन संयंत्र की स्थिति आदि के आकलन करने एवं योजना बनाने में काफी समय लगता है । ’’ 
रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘इस प्रकार अक्तूबर 2019 तक योजना को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद साढ़े चार साल में इस पर खर्च की गई राशि कुल राशि का 35 प्रतिशत है ।’’ 
सचिव ने समिति को यह भी बताया कि दो वर्ष बाद कार्य की गति बढ़ी है और अगले दो वर्ष में सभी जलमल आधारभूत परियोजनाएं पूरी होने की उम्मीद है। इनमें कुछ परियोजनाएं औद्योगिक अपशिष्ट से संबंधित हैं। 
गंगा की सफाई के लिए निर्धारित समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर विभाग ने अपने लिखित उत्तर में समिति को बताया, ‘‘ नदी की सफाई एवं संरक्षण एक सतत प्रक्रिया है। जलमल आधारभूत संरचनाओं के लिये परियोजनाएं व्यापक तौर पर और तीव्र गति से शुरू की गई हैं और इनके दिसंबर 2022 तक पूरी होने की उम्मीद है।’’ 
रिपोर्ट के अनुसार, नमामि गंगे के प्रमुख कार्यक्रम के तहत कुल 299 परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं जिनमें जल मल आधारभूत संरचना, घाट एवं शवदाहगृह, नदी तट विकास, नदी सतह सफाई, घाट की सफाई और जैव उपचार आदि शामिल हैं । 
​ इसमें बताया गया है कि इनमें से केवल 42 परियोजनाएं ही पूरी हुई है । इसके अलावा 3,729 एमएलडी की जलमल शोधन क्षमता की योजना के संबंध में केवल 575 एमएलडी की जल मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) की क्षमता ही सृजित की गई । 

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