कानपुर में रानिया, राखी मंडी में क्रोमियम ढेर हटाने को लेकर गंभीर नहीं हैं अधिकारी: NGT - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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कानपुर में रानिया, राखी मंडी में क्रोमियम ढेर हटाने को लेकर गंभीर नहीं हैं अधिकारी: NGT

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कानपुर में रानिया और राखी मंडी में क्रोमियम के ढेर के मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कानपुर में रानिया और राखी मंडी में क्रोमियम के ढेर के मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। अधिकरण ने कहा कि नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली गंभीर स्थिति से निपटने में अधिकारियों की ओर से पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। 
एनजीटी प्रमुख न्यायमू्र्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उसके द्वारा गठित निगरानी समिति की ओर से पेश रिपोर्ट पर गौर किया और कहा कि क्रोमियम कूड़ा स्थल के सुधार का मामला अभी भी लटका हुआ है। अधिकरण ने कहा कि क्रोमियम कचरे की वास्तविक मात्रा पहले बताई गई रिपोर्ट की तुलना में बहुत अधिक है। 
अधिकरण ने कहा, ऐसा लगता है कि 1976 से चली आ रही और नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही गंभीर स्थिति से निपटने में अधिकारियों की ओर से पर्याप्त गंभीरता नहीं है।”  पीठ ने कहा, “इसके अतिरिक्त सीईटीपी (आम प्रवाह शोधन संयंत्र) एवं सीसीआरपी (जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया कार्यक्रम) का अनुपालन न करने के कारण गंगा में विषाक्त क्रोमियम छोड़ा जा रहा है, जिसके लिए मुख्य सचिव के स्तर पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।” 

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अधिकरण ने हाल के एक आदेश में कहा कि निरीक्षण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कूड़े को उठाना अभी शुरू नहीं हुआ है, जबकि अपशिष्ट छोड़े जाने से रोकने का काम शुरू हो गया है। उसने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नामितों और कानपुर देहात और कानपुर नगर के जिलाधिकारियों के साथ पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। 
अधिकरण ने इससे पहले रानिया और राखी मंडी में गंगा में जहरीले क्रोमियम युक्त अपशिष्ट छोड़े जाने की जांच करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी और प्रदूषण फैलाने के लिए 22 चमड़ा कारखानों पर 280 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। एनजीटी ने उप्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया था और उस पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

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