इलाहाबाद हाई कोर्ट में लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा मामले की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग को लेकर एक पत्र याचिका दाखिल की गई है। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) स्वदेश और प्रयागराज लीगल एंड क्लीनिक की तरफ से कार्यवाह मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई पत्र याचिका (लेटर पिटीशन) में पूरे मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच कराए जाने के आदेश दिए जाने की मांग की गई है।
साथ ही अपील की गई है कि सीबीआई जांच होने की सूरत में हाई कोर्ट द्वारा मॉनिटरिंग किया जाए। इसके साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई किए जाने की मांग भी की गई है। संस्थाओं की तरफ से अधिवक्ता गौरव द्विवेदी ने यह पत्र याचिका दाखिल की है। पत्र याचिका में कहा गया है कि लखीमपुर से लेकर लखनऊ तक बैठे बड़े पुलिस अफसरों की भूमिका एवं लापरवाही की भी जांच की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि धारा 144 और कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए जहां एक ओर जिला प्रशासन ने नेताओं को घरों में रहने की अपील की है वहीं सियासी पार्टियां इसे लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए लखीमपुर खीरी जाने की जिद पर अड़ी हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को कथित तौर पर दो वाहनों से कुचले जाने के बाद हिंसा भड़क गई। जानकारी के मुताबिक इस घटना में अब तक 9 किसानों की मृत्यु हो गई है, वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के मुताबिक “किसानों के प्रदर्शन में शामिल कुछ तत्वों” की पिटाई से भाजपा के 3 कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत हो गई है।
प्रदर्शनकारी रविवार को तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों को कुचले जाने की घटना से नाराज लोगों ने कथित तौर पर दो गाड़ियों को जबरन रोककर उनमें आग लगा दी। उन्होंने कथित तौर पर कुछ यात्रियों की भी पिटाई की है।