प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ग्रेटर नोएडा में संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (कॉप)-14 को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के 190 देशों के मंत्री हिस्सा लिया। सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के प्रधानमंत्री, राल्फ गोंसाल्वेस और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए। इस दौरान जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर चिंतन किया गया।
कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, भारत दो साल के कार्यकाल के लिए COP प्रेसिडेंसी को संभालने के लिए एक प्रभावी योगदान देने के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा, जलवायु और पर्यावरण जैव विविधता और भूमि दोनों को प्रभावित करते हैं। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव का सामना कर रही है।
उन्होंने कहा की समुद्र के स्तर में वृद्धि और लहर की कार्रवाई, अनियमित वर्षा और तूफान, और गर्म तापमान के कारण रेत के तूफानों के कारण भूमि क्षरण के लिए अग्रणी है। पीएम मोदी ने कहा, भारत ने तीनों सम्मेलनों के लिए वैश्विक सभा की मेजबानी की है। भारत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भू क्षरण जैसे क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग बढ़ाने के लिए उपायों का प्रस्ताव रख कर प्रसन्नता महसूस कर रहा है।
COP 14 कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के संस्कारों में धरती पवित्र है, हर सुबह जमीन पर पैर रखने से पहले हम धरती से माफी मांगते हैं। UNCCD के नेतृत्व में वैश्विक जल कार्रवाई एजेंडा बनाने का आह्वान किया गया है जो भूमि क्षरण तटस्थता रणनीति के लिए केंद्रीय है।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज मुझे भारत का NDCS याद दिलाया गया है जो UNFCCC में पेरिस कॉर्प में प्रस्तुत किया गया था। इसने भूमि, जल, वायु, पेड़ और सभी मनुष्यों के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने के लिए भारत की गहरी संस्कृति की जड़ों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, जलापूर्ति बढ़ाना, जल पुनर्भरण और मृदा में नमी को बनाए रखना समग्र भूमि, जल रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, मेरी सरकार ने विभिन्न उपायों के माध्यम से फसल की पैदावार बढ़ाकर किसानों की आय दोगुनी करने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें भूमि बहाली और सूक्ष्म सिंचाई शामिल हैं। एलडीएन को संबोधित करने के लिए जल प्रबंधन एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमने जल संबंधी सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को समग्रता में संबोधित करने के लिए “जल शक्ति मंत्रालय” बनाया है।
पीएम मोदी ने कहा, मेरी सरकार ने घोषणा की है कि भारत आने वाले वर्षों में एकल उपयोग प्लास्टिक को समाप्त कर देगा। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि दुनिया भी प्लास्टिक के इस्तेमाल को अलविदा कहे। इससे आपको खुशी होगी कि भारत अपने वृक्ष आवरण को बढ़ाने में सफल रहा है। भारत में 2015 से 2017 के बीच वृक्ष और वन आवरण में 0.8 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। साथ ही भारत 2030 तक 21 मिलियन हेक्टेयर्स से लेकर 26 मिलियन हेक्टयर्स बंजर भूमि को उपजाऊ बनाएगा।