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PM मोदी सोमवार को करेंगे काशी विश्वनाथ गलियारे का उद्घाटन, जानें इस परियोजना से क्या होगा फायदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह संसदीय क्षेत्र वाराणसी एक और खास परियोजना से लाभांवित होने वाला है। मोदी वाराणसी के मध्य में स्थित महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारे को सोमवार को लोगों को समर्पित करेंगे।

केंद्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को लेकर खासा उत्साहित है। तो वहीं, वह अपने विकास कार्यों को लेकर जनता के समक्ष जा रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह संसदीय क्षेत्र वाराणसी एक और खास परियोजना से लाभांवित होने वाला है। वाराणसी के मध्य में स्थित महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारे को सोमवार को मोदी लोगों को समर्पित करेंगे। 
इस विशाल परियोजना से वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। प्रतिष्ठित दशाश्वमेध घाट के पास ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के अत्याधुनिक ढांचे का उद्घाटन अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले 13 दिसंबर को होने वाला है। पत्थरों और अन्य सामग्री के साथ पारंपरिक शिल्प कौशल का उपयोग कर प्रवेश द्वार और अन्य संरचनाएं बनाई गई हैं। 
मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था 
इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम के मद्देनजर यहां के अधिकांश निवासियों और घरेलू पर्यटकों में उत्साह है, जिसे देखते हुए वाराणसी में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रतिष्ठित मंदिर के पास सड़कों पर नक्काशीदार लैम्पपोस्ट पर पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें ‘‘इस परियोजना के दृष्टिकोण को साकार करने’’ के लिए मोदी की प्रशंसा की गई है। 
मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1780 के आसपास करवाया था और 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने इसके शिखर पर सोना मढ़वाया था। 
2000 से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है 
काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार प्रसिद्ध धार्मिक स्थल को ‘स्वर्ण मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। कई पुराने नक्शों में इस नाम का उल्लेख देखा जा सकता है। पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी अतिरिक्त बलों की सहायता से मंदिर परिसर, सार्वजनिक चौराहों पर पहरा देती है और सब कुछ सुचारू रूप से हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सड़कों पर गश्त करती है। 
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘कार्यक्रम के महत्व को देखते हुए शहर भर में विशेष रूप से मंदिर और गलियारे के आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हाई-प्रोफाइल मेहमानों और, 2000 से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।’’ 
यहां के निवासी प्रधानमंत्री के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं 
वर्ष 2014 से मोदी के संसदीय क्षेत्र रहे शहर में विशेष रूप से गोदौलिया चौक और उसके आसपास मंदिर की ओर जाने वाली सड़कों को ‘दिव्य काशी, भव्य काशी’ के नाम से हो रहे विशाल कार्यक्रम से पहले सजाया गया है। यहां के निवासी प्रधानमंत्री के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने पहले घोषणा की थी कि ‘‘काशी विश्वनाथ धाम’’ (काशी विश्वनाथ गलियारा) के उद्घाटन के बाद वाराणसी एक महीने तक सांस्कृतिक कार्यक्रम की मेजबानी करेगा और भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में भाग लेंगे जिसका देश भर में 51,000 से अधिक स्थानों पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। 
मंदिरों की ‘‘रक्षा एवं संरक्षण’’ और प्राचीन आस्था के साथ आधुनिक तकनीक के संयोजन के लिए एक मॉडल होगी 
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल ने कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाने के लिए सभी प्रमुख शिव मंदिरों और अपनी सभी मंडल इकाइयों के आश्रमों में एलईडी लगाने की योजना बनाई है। मार्च 2019 में काशी विश्वनाथ गलियारे की आधारशिला रखने के बाद मोदी ने कहा था कि यह परियोजना मंदिरों की ‘‘रक्षा एवं संरक्षण’’ और प्राचीन आस्था के साथ आधुनिक तकनीक के संयोजन के लिए एक मॉडल होगी। 
भाजपा पदाधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री दो दिन वाराणसी में ठहरने वाले हैं। पहले दिन वह सबसे पहले बाबा काल भैरव का दर्शन-पूजन करने के बाद ललिता घाट पहुचेंगे, वहां से बाबा विश्वनाथ धाम पहुंचेंगे। कार्यक्रम के बाद वह सभी मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ गंगा आरती में शरीक होंगे। 
परियोजना को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों ने आलोचना की थी  
उन्होंने बताया कि अपने प्रवास के दूसरे दिन प्रधानमंत्री देश भर से आये मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद करेंगे। उसके बाद प्रधानमंत्री वाराणसी के उमरहा स्थित स्वर्वेद मंदिर के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में भाग लेंगे। यहां प्रधानमंत्री उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे। 
परियोजना को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों ने आलोचना भी की थी क्योंकि गलियारे के लिए बड़ी संख्या में पुरानी इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया था। दिसंबर की शुरुआत में परियोजना के वास्तुकार बिमल पटेल ने कहा था कि स्थल को विकसित करते समय मंदिर की मूल संरचना के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई, इस क्षेत्र को सुशोभित करने के अलावा, पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाया गया है।

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