मेरठ में हिन्दू - मुस्लिम एकता की अनूठी और भावुक मिसाल, रोजेदारों ने दिया अर्थी को कांधा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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मेरठ में हिन्दू – मुस्लिम एकता की अनूठी और भावुक मिसाल, रोजेदारों ने दिया अर्थी को कांधा

महामारी के गम्भीर संकट के दौरान भी कुछ राजनीतिक पार्टियां और नेता अपने हितों को साधने के लिए कोरोना को भी साम्प्रदायिकता का रंग देकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। इसी बीच एक ऐसी घटना सामने आई है जो हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे की एक मिसाल बनी है।

पूरा देश इस समय कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है और लगातार इस संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। इस महामारी के गम्भीर संकट के दौरान भी कुछ राजनीतिक पार्टियां और नेता अपने हितों को साधने के लिए कोरोना को भी साम्प्रदायिकता का रंग देकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। इसी बीच एक ऐसी घटना सामने आई है जो हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे की एक मिसाल बनी है। 
कोरोना वायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इंसानियत, भाईचारा और सौहार्द्र की अनूठी मिसाल पेश करते हुए रोजेदारों ने एक धर्मशाला के संरक्षक रमेशचंद माथुर की अर्थी को मंगलवार को कांधा दिया। इलाके के पार्षद मौ० मोबीन ने बताया कि शाहपीर गेट निवासी कायस्थ धर्मशाला के संरक्षक 68 वर्षीय रमेश चंद्र माथुर का मंगलवार को निधन हो गया। उन्हें कैंसर था। मौ० मोबीन ने बताया कि रमेश चंद्र माथुर का एक पुत्र चंद्रमौली माथुर (28) मेरठ में ही है, लेकिन दूसरा बेटा और अन्य रिश्तेदार बाहर रहते हैं और लॉकडाउन के कारण यहां नहीं आ सके। उन्होंने कहा कि वर्षों से हम सभी यहां साथ रहते आए हैं, ऐसे में सिर्फ रिश्तेदारों की कमी के कारण किसी की अर्थी को कांधा ना मिले, यह सही नहीं है। 
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मुसलमान बाहुल्य वाले इलाके शाहपीर गेट क्षेत्र के पार्षद मोबीन ने बताया कि हमने तय किया कि अंतिम संस्कार में हम पूरी मदद करेंगे, अर्थी को कांधा भी देंगे। 
उन्होंने बताया कि हम उनके बेटे के साथ अर्थी को कांधा देकर उन्हें सूरजकुंड शमशान ले गए जहां चन्द्रमौली ने उन्हें मुखाग्नि दी। 
रमेशचंद माथुर के अंतिम संस्कार में परिवार के अलावा मुस्लिम समुदाय के कई लोग शामिल थे। सभी का यही कहना था कि हम साथ रहते आए हैं, जीवन साथ जिया है तो मृत्यु में हम अलग कैसे हो गए। रोजे रखकर अर्थी को कांधा देने वाले इन लोगों ने कहा कि रमजान के इस पाक महीने में अल्लाह ने हमसे जो नेक काम कराया है, उसके लिए हम उसके शुक्रगुजार हैं। 

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