उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस की लापरवाही के चलते एक लैब असिस्टेंट की हत्या कर दी गई। राज्य में लगातार हो रही इस तरह की घटनाएं योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस घटना को लेकर योगी सरकार पर सवाल खड़े किए। प्रियंका ने ट्वीट कर लिखा है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है।
उन्होंने लिखा, उप्र में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। आम लोगों की जान लेकर अब इसकी मुनादी की जा रही है। घर हो, सड़क हो, ऑफिस हो कोई भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता। विक्रम जोशी के बाद अब कानपुर में अपहृत संजीत यादव की हत्या। किडनैपर्स को पैसे भी दिलवाए और अब उनकी हत्या कर दी गई। एक नया गुंडाराज आया है। इस जंगलराज में कानून-व्यवस्था गुंडों के सामने सरेंडर कर चुकी है।
उप्र में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। आम लोगों की जान लेकर अब इसकी मुनादी की जा रही है।
घर हो, सड़क हो, ऑफिस हो कोई भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता।
विक्रम जोशी के बाद अब कानपुर में अपहृत संजीत यादव की हत्या। खबरों के मुताबिक..1/2 pic.twitter.com/SGFRLstgrT
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 24, 2020
जाने क्या है पूरा मामला
22 जून को हुए अपहरण की सूचना परिजनों ने समय रहते पुलिस को दे दी थी और उसकी सलाह पर ही अपहरणकर्ताओं को फिरौती की रकम के तौर पर 30 लाख रूपये भी दे दिए लेकिन पुलिस की आखों के सामने बदमाश फिरौती की रकम ले उड़े और उसकी तमाम कवायद धरी की धरी रह गई।
इसके बावजूद पुलिस पीड़ित परिजनों को टरकाती रही। बाद में एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बर्रा थाना प्रभारी रणजीत राय को निलंबित कर दिया और तीन दिनों के भीतर अपहृत युवक को सुरक्षित वापस लाने का भरोसा दिलाया लेकिन तमाम दावों के बावजूद पुलिस न तो युवक का जिंदा रहते पता लगा सकी और न ही जमीन जायदाद बेचकर जुटाई गई फिरौती की रकम ही वापस ला सकी।
पुलिस ने गुरूवार देर रात अपहरण कांड का खुलासा किया जिसके अनुसार निजी पैथोलाजी के लैब असिस्टेंट संजीत यादव को उसके दोस्तों ने मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस ने चार आरोपियों दोस्तों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ कर रही है। वहीं परिजन पुलिस को दोषी ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि इस घटनाक्रम में जितने दोषी अपहरणकर्ता का उतना ही दोष पुलिस वालों का भी है इसलिए सजा बराबर से मिलनी चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि लैब असिस्टेंट संजीत यादव के अपहरण में उसके दोस्तों ने ही उसे दगा दे दिया था और 22 जून की रात शराब पिलाने के बहाने लैब असिस्टेंट संजीत को अपने दोस्त ईशू यादव के रतनलाल नगर के कमरे में ले गया और बंधक बना लिया। चार दिन तक बेहोशी के इंजेक्शन देता रहा। 26 जून को कुलदीप ने दोस्त ईशू,रामबाबू और एक अन्य के साथ मिल कर संजीत की गला दबाकर हत्या कर दी और शव को कार में रखकर पांडु नदी में फेंक दिया था।
हत्या की दुस्साहिक वारदात को अंजाम देने के बाद अपहरणकर्ताओं ने तीन दिन बाद संजीत के पिता को फोन कर फिरौती मांगी। परिजनों ने पुलिस के कहने पर मकान, जेवर बेचकर 30 लाख की व्यवस्था की और 13 जुलाई को अपहर्ताओं को सौंप दिए लेकिन पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पाई और वे भाग गए।
पुलिस की अब तक की पड़ताल में यह बात साफ हो गई है कि अपहर्ताओं ने फिरौती मांगने के लिए संजीत के परिजनों को चाइनीज मोबाइल से फोन किया था। पुलिस ने बताया कि अपहरणकर्ता बेहद शातिर थे और उन्होंने सारी तैयारियां पहले से कर रखी थी और फर्जी नाम पर सचेंडी से प्री एक्टिवेटेड सिम खरीदा था। यह फर्जी आईडी पर जारी किया गया था। पुलिस ने सिम को बेचने वालों को भी दबोच लिया है और उनसे पूछताछ जारी है।
अपहर्ताओं ने उस सिम का इस्तेमाल सिर्फ फिरौती मांगने के लिए किया जिसके बाद उस मोबाइल और सिम से कहीं भी कॉल नहीं की गई। लैब असिस्टेंट संजीत यादव को मर कर पांडु नदी में फेंकने की बात कबूल चुके उसके आरोपी दोस्तों की निशानदेही पर पुलिस ने देर रात से ही पांडु नदी में संजीत यादव के शव को तोड़ने का अभियान शुरू कर दिया है।