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नदियों का जलस्तर घटने पर भी नहीं घट रहीं किसानों की समस्याएं

उत्तर प्रदेश जालौन जनपद में बाढ़ का कारण बनीं दोनों नदियों बेतवा और यमुना का नदी का जलस्तर तेजी से घट कर खतरे के निशान से काफी नीचे हो रहा है

उत्तर प्रदेश जालौन जनपद में बाढ़ का कारण बनीं दोनों नदियों बेतवा और यमुना का नदी का जलस्तर तेजी से घट कर खतरे के निशान से काफी नीचे हो रहा है लेकिन किसानों की परेशानियां कम होने की जगह और बढ़ती जा रहीं हैं। नदियों के जलस्तर में कमी से किसानों की जीवन में कोई बहुत बड़ सुकून नहीं आ पा रहा है। 
जनपद में बेतवा एवं यमुना नदी में बाढ़ का असर सबसे अधिक विकासखंड महेवा के गांव में देखने को मिल रहा है वैसे तो विकासखंड कुठौंद विकासखंड कदौरा विकासखंड डकोर के गांव में भी बाढ़ से क्षति हुई है विकासखंड महेवा के किसान हरदेव सिंह, हरचरण सिंह, कंधई सिंह बुंदेला, तेज सिंह,शिवपाल सिंह,अजीत यादव, राम सिंह यादव और लल्लन खान हातिम सहित सैकड़ किसानों ने बताया कि जितनी तेजी से यमुना नदी एवं बेतवा नदी का जलस्तर घटता जा रहा है उतनी ही तेजी से हम लोगों के सामने परेशानी बढ़ती जा रही है क्योंकि बाढ़ से लगभग पूरी खरीफ की फसल नष्ट हो चुकी है। इस नुकसान का सीधा असर हमारी आमदनी पर तो पड़ ही है। 
खेतों में बाढ़ का पानी भरने से फसल तो नष्ट हुई ही पालतू पशुओं का चारा भी बरबाद हो गया, जो फसल डूब गई उसके सड़ जाने से क्षेत्र में महामारी भी फैलने की आशंका बनी हुई है। खरीफ की फसल से दोहरा लाभ हो जाता था एक लाभ तो घर गृहस्थी का खर्चा चलने के साथ साथ में रबी की बुवाई के लिए उर्वरक एवं बीज खरीदने के लिए भी पर्याप्त आमदनी हो जाती थी। 
बाढ के कारण इलाके में व्यापक बरबादी हुई है। इन किसानों का यह भी कहना है की प्रदेश सरकार क्षति का मापदंड क्या रखती है और प्रशासन अपनी सर्वे में क्या आख्या देता है। बाढ़ प्रभावित किसानों को यह भी चिंता है यदि प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने स्वस्थ मानसिकता एवं किसानों के हितों को ध्यान में रखकर क्षति का सही आकलन सरकार को भेज दिया तो हो सकता है कि हम सब बाढ़ प्रभावित किसानों की आंसू पुछ जाएंगे और यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर मुआवजे की राशि ऊंट के मुंह में जीरा की तरह मिलेगी जो बाढ़ प्रभावित किसान के सामने भारी आर्थिक संकट पैदा कर देगी और किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएगा। एक आंकड़ के अनुसार अकेले महेवा विकासखंड में लगभग 1500 हेक्टेयर की खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। 
जिलाधिकारी डॉ़ मन्नान अख्तर ने बताया कि बाढ़ से खरीफ की फसल को हुई क्षति का आकलन एवं सर्वे पूरी स्वस्थ मानसिकता से कराया जाएगा। किसानों को क्षति की पूर्ति के लिए शासन से मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा साथ ही जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया था उन किसानों को बीमा कंपनियों से भी तत्काल प्रभाव से क्लेम दिलवाने की कार्रवाई की जाएगी। 
बाढ़ के कारण संक्रामक महामारी रोकने के पूरे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दवाओं का छिड़काव करवाया जा रहा है साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ से प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन की गोलियां वितरित की जा रही है। मरीजों के लिए स्वास्थ्य परीक्षण हेतु स्वास्थ्य विभाग की टीमों को भी सक्रिय कर दिया गया है।

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