राम मंदिर ट्रस्ट के नए अध्यक्ष बनाए गए नृत्यगोपाल दास ने कहा है कि हिंदू परिषद के मॉडल पर ही राम मंदिर का निर्माण होगा, लेकिन उसके प्रारूप में थोड़ा विस्तार जरूर किया जाएगा।
मंदिर के लंबाई और चौड़ाई में उसकी भव्यता को देखते हुए थोड़ा परिवर्तन करने की गुंजाइश बनी हुई है। इसके साथ ही नृत्यगोपाल दास ने साफ-साफ कहा कि ट्रस्ट की अगली बैठक जब अयोध्या में 15 दिनों के बाद होगी तो उस बैठक में ट्रस्ट के निर्माण को लेकर रूपरेखा दी जाएगी।
हालांकि उन्होंने साफ किया कि अलग से निर्माण कमेटी बना दी गई है, जो नृपेंद्र मिश्रा की देखरेख में काम करेगी। महंत के मुताबिक, इस कमेटी का काम यह है कि मंदिर निर्माण के लिए क्या-क्या काम किए हैं, उस पर विचार करना। राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू किए जाने को लेकर नृत्यगोपाल दास ने कहा कि इस पर विचार अगली बैठक में तय होगा, लेकिन इतना जरूर कहा कि रामनवमी के दिन मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी।
बुधवार को ट्रस्ट की बैठक में न्यास के सदस्यों के बीच दायित्व का बंटवारा कर दिया गया। दो अलग-अलग समितियां बनाई गई हैं। उन कमेटियों की जिम्मेदारी इन्हीं ट्रस्टों को सौंपी जाएगी जो समय-समय पर बैठकर कर मंदिर निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाते रहेंगे।
ट्रस्ट की बैठक से पहले ही नृत्यगोपाल दास ने आईएएनएस से बातचीत में इस बात की पुष्टि कर दी थी कि वह ट्रस्ट की बैठक में शामिल हो रहे हैं। ट्रस्ट उनकी जिम्मेदारी भी तय करेगी। बैठक में सभी सदस्य अपने-अपने विचार रखेंगे।
ऐसा हो सकता है प्रस्तावित्त राम मंदिर का प्रारूप
राम मंदिर ट्रस्ट के नए अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि राम मंदिर का मॉडल वही रहेगा, लेकिन उसे और ऊंचा और चौड़ा करने के लिए प्रारूप में थोड़ा बदलाव किया जाएगा।
प्रस्तावित मॉडल के अनुसार, 2.75 लाख घन मीटर भूभाग पर बनने वाला राम मंदिर दो मंजिल का होगा। इसकी लंबाई 270 मीटर, चौड़ाई 140 फीट और ऊंचाई 128 फीट होगी। 330 बीम और दोनों मंजिल पर 106-106, यानी कुल 212 खंभों वाले मंदिर में पांच दरवाजे होंगे। इसका निर्माण पांच हिस्सों- गर्भगृह, कौली, रंग मंडप, नृत्य मंडप और सिंह द्वार में किया जाना है। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण मकराना के सफेद संगमरमर से होगा। गर्भगृह के ठीक ऊपर 16.3 फीट के प्रकोष्ठ का निर्माण होगा, जिस पर 65.3 फीट ऊंचे शिखर का निर्माण होगा।
राम मंदिर निर्माण के लिए बीते 25 वर्षो से तराशे जा रहे पत्थरों की शिल्पकारी का उपयोग किया जाएगा। साथ ही श्रीराम शिलाएं भी मंदिर में इस्तेमाल की जाएंगी। इन पत्थरों में अद्भुत कलाकारी की गई है। देशभर से पूजित होकर आईं श्रीराम शिलाएं मंदिर की शोभा बढ़ाएंगी। पिछले 25 वर्षों से तराशे जा रहे पत्थरों की अद्भुत शिल्पकारी और देशभर से पूजित होकर आई श्रीराम शिलाएं भी मंदिर की साज-सज्जा बढ़ाएंगी।
अयोध्या में जन्मभूमि पर श्रीराम लला का मंदिर गुजरात के वास्तुशिल्पी परिवार के वास्तुशिल्प विशेषज्ञ चंद्रकांत सोमपुरा के बनाए डिजाइन और मॉडल पर ही बनेगा। अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में 1989 से ही तराशे जा रहे शिल्पकला के अद्भुत नमूनों और पूरे देशभर से पूजित होकर यहां पहुंचीं श्रीराम शिलाओं का भी उपयोग मंदिर निर्माण में होगा।