पराली जलाने के मामले में नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। इस बीच, राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि सरकार प्रदूषण के असल जिम्मेदार लोगों को नहीं पकड़ रही है। प्रदूषण केवल शहरों में ही होता है। दिल्ली जैसे महानगरों में वाहनों के जरिए रोजाना एक करोड़ लीटर पेट्रोल और डीजल के जलने, एअर कंडीशनर और जेनरेटर सेट चलने, बिजली संयंत्रों में उत्पादन और रबर, प्लास्टिक इत्यादि जलाने की गतिविधियां करीब 94 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जबकि किसानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर उत्तर प्रदेश में करीब एक हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिन किसानों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से ज्यादातर को तो पता ही नहीं है कि उन्होंने कुछ गलत भी किया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने किसान के रूप में सबसे कमजोर व्यक्ति को पकड़ लिया है। मगर जब ये घटनाएं बढ़ेंगी तो उसकी प्रतिक्रिया भी होगी, जो सरकार के लिए नुकसानदेह साबित होगी। राष्ट्रीय किसान मंच लामबंद होकर आंदोलन करेगा।
दीक्षित ने कहा कि सरकार किसानों का उत्पीड़न करने के बजाय पराली को खेतों से पूरी तरह हटाने के लिए मशीन मुफ्त उपलब्ध कराए। सरकार जितनी तत्परता से किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर रही है, अगर वह उनकी समस्याओं पर भी उतनी ही मुस्तैदी से काम करे तो किसानों के दिन बहुर जाएं।