उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में बीजेपी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास मौजूद कृषि कानून का मुद्दा अब छीन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के साथ ही विपक्ष के पास आगामी चुनावों के लिए कोई मजबूत मुद्दा नहीं बचा, वहीं राज्य में बीजेपी ने अपनी मजबूती और बढ़ा ली है।
राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने किसानों को चेताया कि अगर आगमी चुनावों में बीजेपी जीत गई, तो कृषि कानून हमें परेशान करने के लिए वापस आ जाएंगे।” आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “उन्होंने कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है, लेकिन अगर वे चुनाव जीत जाते हैं, तो बीजेपी इन कानूनों को वापस लाएगी।”
कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद UP में फिर उठी सीएए को खत्म करने की मांग
उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने कहा कि वह किसानों को कानून नहीं समझा सके, वह चिंताजनक है। इसके अलावा, बिहार सरकार के एक मंत्री ने भी कहा कि कृषि कानून फिर से लागू किया जाएगा। मैं यह नहीं कह रहा हूं, लेकिन बीजेपी नेता और उनके सहयोगी हैं, यह कह रहे हैं। आरएलडी प्रमुख ने ‘ऐतिहासिक जीत’ पर किसानों को बधाई दी और कहा कि आंदोलन ने साबित कर दिया कि हर नागरिक ‘आंदोलनजीवी’ बन गया है।
जयंत चौधरी ने सरकार को आंदोलन के दौरान किसानों के बलिदान की भी याद दिलाई और लखीमपुर खीरी हिंसा में हुई मौतों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसान मारे गए, उनके परिवारों को सम्मान की जरूरत है। लखीमपुर खीरी कांड के लिए जिम्मेदार मंत्री का बेटा अभी भी अपना पद संभाल रहा है। इसका जवाब देने की जरूरत है।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए आरएलडी प्रमुख ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि नीतियां कैसे बनाई जाती हैं और उन्हें कैसे लागू किया जाता है। “ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है? 2017 में, राज्य पर 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये हो गया है। स्थिति यह है कि सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पा रही है, लेकिन योगी आदित्यनाथ अपने प्रचार में चौबीसों घंटे लगे हुए हैं।”