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सपा प्रमुख अखिलेश ने शिवपाल यादव के भाजपा में शामिल होने की बात पर दिया ये जवाब

उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव को लेकर काफी गरमाई हुई है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव को लेकर काफी गरमाई हुई है। यूपी की राजनीतिक गलियारों में शिवपाल यादव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की खबरें जोरों पर है। ऐसे में प्रदेश के पूर्व मुखयमंत्री अखिलेश  यादव ने इस पर अपना पक्ष रखा है।  
चाचा से कोई नाराजगी और किसी तरह का विवाद नहीं  
शिवपाल यादव की भाजपा से नजदीकी की अटकलों पर अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा हमारे चाचा को लेना चाहती है तो अच्छी बात है, ले ले उन्हें। देर क्यों कर रही है? साथ ही उन्होंने आगे कहा कि उनकी चाचा से कोई नाराजगी और किसी तरह का विवाद नहीं है।   
उन पर सरकार का दबाव था 
अखिलेश यादव ने आजम खान की नाराजगी की खबरों पर कहा कि समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी है। मैंने उन लोगों से बात की है, जिन्होंने उनके खिलाफ मामले दर्ज किए हैं, उन पर सरकार का दबाव था। दरअसल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपीएल) के अध्यक्ष शिवपाल यादव विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से नाराज बताए जा रहे हैं। चुनाव परिणाम के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी। यही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को ट्विटर पर फॉलो किया है।  
ऐसे बढ़ी थी दोनों के बीच तल्खी 
हालांकि, भाजपा में शामिल होने के सवाल पर शिवपाल यादव ने पिछले दिनों कहा था कि उन्होंने इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है और जब सही समय आएगा तो वह सभी को इसके बारे में बताएंगे। बता दें कि शिवपाल और अखिलेश के बीच तकरार तब बढ़ गई थी, जब उन्होंने अपने चाचा को 26 मार्च को हुई सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया था। शिवपाल ने सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल पर विधानसभा चुनाव लड़ा था।  
गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल का नाम लिये बगैर उन पर परोक्ष रूप से भाजपा के संपर्क में रहने का आरोप लगाया था।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवपाल की मंशा है कि अखिलेश उन्हे पार्टी से बाहर करें ऐसे में उनकी विधानसभा की सदस्यता बची रहेगी और अगर वह खुद सपा से किनारा करते हैं तो उन्हे अपनी विधायकी गंवानी पड़ सकती है। प्रसपा अध्यक्ष ने सपा के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ था और मिल कर भाजपा का सूपडा साफ करने का दावा किया था।

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