अब किसी भी चुनाव में गठबंघन से तौबा कर चुकी समाजवादी पार्टी अपने जिला और महानगर अध्यक्षों को विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देगी। संगठन को मजबूत करने में जुटी सपा अब कल पुर्जा कसने में लगी है। जिला और महानगर अध्यक्षों को लिखकर देना होगा कि वो विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मांगेंगे।
संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारियों को पूरा समय पार्टी को मजबूत करने के लिए देना होगा। सपा के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का मुकाबला करने के लिए संगठन का मजबूत होना बहुत जरूरी है। पार्टी अब तक 15 जिला अध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष व एक महासचिव बना चुकी है और उनके नाम घोषित कर दिए गए हैं।
इस महीने के अंत तक अधिकतर जिलों में संगठन तैयार हो जाएगा। सपा सूत्रों ने कहा कि चुनाव के वक्त जिलाध्यक्ष और संगठन में महत्वपूर्ण पद पर बैठे लोग ही टिकट मांगने लगते हैं जिसका असर पूरी पार्टी पर पड़ता है। दूसरी ओर बसपा और बीजेपी अपने संगठन पर ज्यादा ध्यान देती है।
पार्टी संगठन में युवा और नए चेहरे को लाने पर ज्यादा ध्यान दे रही है ताकि 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अब अकेले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। अखिलेश यादव सोशल मीडिया के महत्व को देखते हुए इसमें दक्ष लोगों की एक टीम भी तैयार कर रहे हैं।