अपने बयान पर डटे हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, रामचरित मानस चौपाई में संसोधन को लेकर राष्ट्रपति को भेजा पत्र - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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अपने बयान पर डटे हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, रामचरित मानस चौपाई में संसोधन को लेकर राष्ट्रपति को भेजा पत्र

स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा रामचरित मानस पर दिए बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। और इस बीच वह माफी मांगने की जगह अपने बयान पर डटे हैं

स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा रामचरित मानस पर दिए बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। और इस बीच वह माफी मांगने की जगह अपने बयान पर डटे हैं, अब उन्होनें रामचरित मानस की चौपाई में संसोधन को लेकर PM मोदी समेत राष्ट्रपति को पत्र भेजा है. स्वामी प्रसाद मौर्या ने बुधवार को कहा कि,मैंने रामचरित मानस की चौपाई में संसोधन के लिए PM और राष्ट्रपति को पत्र भेजा है और मुझे उम्मीद है PM और राष्ट्रपति आदिवासी, पिछडों, दलितों, महिलाओं के सम्मान को सुनिश्चित कराने का काम करेंगे.  
आदिवासी, पिछडों, दलित और महिलाओं का अपमान
उनका कहना है कि रामचरित मानस की चौपाई के चलते आदिवासी, पिछडों, दलित और महिलाओं का अपमान हो रहा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि, साल 2014 में PM मोदी का भी अपमान किया गया था. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि PM मोदी इस समस्या का समाधान कराए ताकि आदिवासी, पिछडों, दलितों, महिलाओं को नीच न कहा जाए.मौर्य का कहना है कि उन्होंने उन्होंने पूरी राम चरित मानस का अपमान नहीं किया, उन्होंने कुछ चौपाइयों की बात की है. जिनमें महिलाओं को अपमान झेलना पड़ता है. 
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पीएम मोदी को लेकर कही बड़ी बात 
अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि पिछड़ी जाति में पैदा होने की वजह से पीएम मोदी को अपमान झेलना पड़ा अब आगे और लोग अपमानित न हों. उन्होंने कहा कि देश में संविधान लागू है, जिसके तहत सभी धर्म समान हैं.सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर रामचरित मानस की कुछ लाइनों को बैन करने की मांग की है.बता दें कि रामचरित मानस विवाद बिहार से शुरू हुआ था. बिहार के मंत्री ने इसे नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा था. जिसके बाद उनकी चौतरफा आलोचना हुई. 
पिछड़ों और दलितों को अपमानित करने वाला ग्रंथ 
उत्तर प्रदेश में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने उनके इस बयान का समर्थन किया था. मौर्य ने रामचरित मानस को पिछड़ों और दलितों को अपमानित करने वाला ग्रंथ करार दिया था. जिसके बाद संत समाज का गुस्सा उनके प्रति फूट गया. यहां तक कि मौर्य ने तो इसके धार्मिक ग्रंथ होने पर भी सवाल उठा दिए थे.उन्होंने कहा कि गाली धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता.उन्होंने कहा कि पाखंडी लोगों ने धर्म के नाम पर पिछड़ों, दलितों और महिलाओं को अपमानित किया.इस मामले पर विवाद काफी गहरा गया है. हर तरफ मौर्य का विरोध जारी है.

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