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उत्तर प्रदेश में बेअसर हुआ किसान आंदोलन का प्रभाव, पंचायत चुनाव में प्रचंड जीत ने बढ़ाया BJP का मनोबल

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली ऐतिहासिक और प्रचंड जीत के बाद पार्टी का अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मनोबल और अधिक बढ़ गया है।

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली ऐतिहासिक और प्रचंड जीत के बाद पार्टी का अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मनोबल और अधिक बढ़ गया है। बीजेपी की यह जीत 2022 में होने वाले चुनावों में परसेप्शन बनाने के लिए काफी मददगार साबित होगी। पंचायत चुनाव के परिणाम पश्चिमी यूपी में भाजपा के लिए काफी मुफीद साबित हुए हैं। जहां पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। इन चुनावों में आंदोलन का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है।
भाजपा ने पंचायत को लेकर दो साल पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए बकायदे प्रशिक्षण भी शुरू हो गया था। उसी का नतीजा रहा कि भाजपा ने कुल 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर 67 में जीत दर्ज की है। जिसमें एक सीट सहयोगी अपना दल की भी शामिल है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के खाते में पांच सीट हैं। राष्ट्रीय लोकदल ने एक सीट पर जीत दर्ज की।
जानकार बताते हैं कि पश्चिमी यूपी में पंचायत चुनाव में किसान आंदोलन का खास असर देखने को नहीं मिला है। काफी विरोध का माहौल बनाने के बावजूद भी भाजपा ने 13 सीटों पर विजय हासिल की है। लेकिन रणनीतिकार बताते हैं कि आन्दोलन के कारण ही रालोद को एक सीट का फायदा मिला है। किसान आंदोलन के अगुवा के इलाके में भी भाजपा की जीत बताती है कि आंदोलन का खास कोई प्रभाव इन चुनावों में नहीं पड़ा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को 14 जिलों में से 13 में, बृज क्षेत्र के 12 जिलों में 11 में विजय मिली है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2010 के पंचायत चुनाव में बसपा रिकॉर्ड मतों से जीती थी। लेकिन 2012 के विधानसभा में वह साफ हो गयी। ऐसे ही सपा ने 2015 के पंचायत चुनाव में 63 जिलों में विजय हासिल की थी, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में उसे महज 47 सीटें हासिल हुई थी। ऐसे में इन चुनावों को विधानसभा से जोड़ना ठीक नहीं है। हालांकि यह जीत भाजपा के लिए 2022 का रास्ता बनाने में कारगर सिद्घ जरूर होगी।
भाजपा के प्रदेश मंत्री व मुजफ्फनगर के प्रभारी डा़ चन्द्रमोहन सिंह कहते हैं कि जो किसान आंदोलन चल रहा है वह किसानों का नहीं है। वह सिर्फ यूनियन और जो हताश निराश विपक्ष है उसका प्रयोजित कार्यक्रम है। इसका किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। जिला पंचायत के सदस्य जनदबाव में भाजपा के पक्ष में आए और पीएम मोदी, मुख्यमंत्री योगी की नीतियों से प्रभावित होकर ऐतिहासिक विजय दिलाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव ने निश्चित तौर पर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम किया है। हमारे कार्यकर्ता जनता के बीच में उपलब्धियों को लेकर जाएंगे और सरकार बनाएंगे।
भारतीय किसाना यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिह वर्मा ने बताया कि अगर भाजपा यह कह रही कि किसान आंदोलन का कोई असर नहीं रहा है। तो वह गणित हमें बता दें। पूरे प्रदेश में भाजपा के सिंबल पर कितने लोग चुनाव लड़े हैं। उनकी सूची हमें दें। कहा कि ब्लाक प्रमुख और पंचायत अध्यक्षों का चुनाव लाठी के बल पर होता है। पूर्ववर्ती सरकारों में भी ऐसा हुआ है। भाजपा ने भी यही किया है। यह चुनाव सत्ता का है। जनता का चुनाव 2022 में होगा। जिस दिन परिणाम आएगा तब पता चलेगा कि किसान आंदोलन का असर है या नहीं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि यह चुनाव सीधे जनता के माध्यम से नहीं होता है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि 2022 के परिणाम क्या होंगे। लेकिन इन नतीजों से भाजपा का जनता के बीच में अच्छा परसेप्शन बनेगा। विधानसभा चुनाव में जाने से पहले पंचायत के नतीजों ने भाजपा के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार किया है। यह परिणाम भाजपा के कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने का काम करेगा।

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