राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को वृन्दावन के रामकृष्ण मिशन द्वारा संचालित धर्मार्थ चिकित्सालय में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक 300 बेड वाले ‘शारदा ब्लॉक’ का उद्घाटन एवं लोकार्पण किया और कहा कि इस मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्द के ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ के मूल सेवा भाव को ध्येय बनाकर की गई थी।
कोविंद ने यहां कहा, ‘‘जिस प्रकार भगवान कृष्ण ने जन साधारण को उस समय के आतताईयों के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए और लीलास्थली के लिए वृन्दावन को चुना था, उसी प्रकार रामकृष्ण मिशन ने भी गरीब और कष्टसाध्य रोगियों की सेवा करने के लिए इस अस्पताल की स्थापना की थी जो 112 वर्ष से विपन्न और जरूरतमंद रोगियों की निष्काम भाव से लगातार सेवा करता आ रहा है। उनकी यह सेवा अत्यंत सराहनीय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा परम सौभाग्य है कि जिस अस्पताल में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसी महान हस्तियों के चरण पड़े, मुझे वहां आने का मौका मिला है।’’ उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि सौ साल से भी अधिक समय की यात्रा में इस अस्पताल ने एक पूर्ण विकसित आधुनिक अस्पताल का रूप धारण कर लिया है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह जानकर मुझे बेहद खुशी मिली है कि वर्ष 2017 में बिहार का राज्यपाल रहते मुझे जिस अत्याधुनिक कैथ लैब का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था उसमें 322 हृदयरोगियों की सफल चिकित्सा की जा चुकी है।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘वैसे तो वृन्दावन में लोग मानसिक एवं आध्यात्मिक शांति पाने के लिए आते हैं लेकिन शारीरिक व्याधियों से पीड़ित व्यक्ति कभी भी मानसिक रूप से शांत व सहज नहीं हो पाता। माना जाता है कि मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ हो सकता है।
उसी स्थिति में वह देश व समाज की सेवा कर अपना बहुमूल्य योगदान दे सकता है। ऐसे में रामकृष्ण मिशन स्वामी विवेकानन्द की भावना के अनुरूप किसी के साथ भी, किसी भी प्रकार का भेदभाव किए बिना सेवा कर बहुत महान कार्य कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरू स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं गुरू मां शारदा के आदर्श के अनुसार ही 200 से अधिक स्थानों पर सेवा केंद्र स्थापित कर उनकी सेवा भावना को आगे बढ़ाया है। अब से ठीक दस दिन बाद इन सभी केंद्रों पर गुरू मां शारदा देवी की 167वीं जयंती मनाई जाएगी। तब महिलाओं एवं गुरुओं के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर होगा।
राष्ट्रपति ने स्वामी विवेकानन्द द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने एक बार कहा था कि यदि मेरे पास कभी धन हुआ तो मैं उसे मानव मात्र की सेवा-सुश्रूषा करने, उसे शिक्षित करने एवं आध्यात्मिक रूप से मजबूत करने में लगाऊंगा। उन्होंने ऐसा करके दिखाया। मुझे उम्मीद है कि उन्नत उपकरणों के साथ मिशन का यह अस्पताल भी निर्धन और अशक्त रोगियों की सेवा करने में सक्षम होगा।’’