सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व चाचा शिवपाल यादव की फिर से सियासी राह अलग हो गई हैं। शिवपाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही लगातार खुद को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। वह फिर प्रदेश में अपना संगठन सक्रिय करेंगे ताकि निकाय चुनाव अच्छी खासा प्रर्दशन कर सकें। शिवपाल सिंह यादव अपने पार्टी पदाधिकारी चक्रपाणि यादव के आवास पर पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे जंहा उन्होनें अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की। उन्होनें बताया की विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव पहले उनको घर पर मनाने आए थे और चुनाव बाद सम्मान देने की बात कहकर राजी किया था।
मुझे विधानसभा चुनाव में कोई जिम्मेदारी तक नही सौंपी
शिवपाल सिंह यादव ने कहा की अखिलेश यादव की बात में आकर मैनें सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इसके बावजूद मुझे पार्टी लाइन से अलग किया गया व ना ही मुझे पार्टी की किसी भी मीटींग में बुलाया गया। शिवपाल यादव ने नवंबर में होने वाले उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी से अलग प्रत्याशी उतारने की बात कही। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संगठन को दोबारा खड़ा करेंगे और चुनाव की तैयारी में जुटेंगे।
मुझसे विपक्ष ने वोट के लिए संपर्क नही किया हैं इसलिए उन्होनें एनडीए समर्थन की हामी भर दी
समाजवादी पार्टी के विधायक होने के बावजूद पार्टी से अलग एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने पर उन्होंने कहा कि विपक्ष और उनकी पार्टी ने उनसे कभी राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए वोट नहीं मांगा ना ही उन्हें मीटिंग में बुलाया गया। एनडीए ने उन्हें भोज पर बुलाया और वोट मांगा तो उन्होंने समर्थन देने की हामी भर दी।
आपको बता दे कि चाचा शिवपाल यादव व अखिलेश यादव में सियासी तकरार काफी पुरानी हो गई लेकिन विधानसभा चुनाव दोनों एक बार फिर से प्रदेश में सरकार बनाने के लिए दोनों साथ आ गए थे। लेकिन चुनाव बाद फिर वही तकरार पुराने स्वरूप में लौटकर आ गयी हैं ।