उत्तर प्रदेश के मेरठ जिलें में अस्पताल की लापरवाही का मामला सामने आया है जिसकी वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। अस्पताल प्रशासन ने केश कुमार नामक व्यक्ति को मृत मानकर सात घंटे से ज्यादा समय तर मोर्चरी फ्रीजर में रख दिया जिसकी वजह से वह कोमा में चले गए और उनकी मौत हो गई। 40 वर्षीय कुमार को मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल (एलएलआरएम) मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। मंगलवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
कुमार ने दिए थे ठीक होने के संकेत
कुमार कोमा में चले जाने के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे और डॉक्टर उनका उपचार कर रहे थे। पत्रकारों से उनके भाई सत्यानंद गौतम ने कहा, मेरे भाई ने अपने जीवन के लिए संघर्ष किया, लेकिन पांच दिनों के बाद वह लड़ाई हार गए। वह जीना चाहते थे। उन्होंने ठीक होने के संकेत दिए थे क्योंकि जब भी हम उनका नाम पुकारते थे तो वे जवाब देते थे। हालांकि, उनके दिमाग में थक्का जम गया था। हम उनकी मौत के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। मुरादाबाद शहर में 18 नवंबर की रात एक दुर्घटना के बाद कुमार को इलाज के लिए एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि, उनके सिर में अंदरूनी चोट आई है। इलाज के बाद डॉक्टरों ने हार मान ली और उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया।
डॉक्टर ने कर दिया था मृत घोषित
अस्पताल द्वारा कुमार को हायर सेंटर रेफर करने के बाद उनके परिजन उन्हें जिला अस्पताल ले आए, जहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और अगले दिन पोस्टमार्टम होने से पहले उसे मोर्चरी फ्रीजर में रख दिया। लगभग सात घंटे बाद जब शव का पंचनामा हो रहा था तब मृतक की भाभी मधुबाला ने उनके शरीर में थोड़ी हरकत देखी। इसके बाद उन्हें बाहर निकालकर बेहतर इलाज के लिए मेरठ शिफ्ट कर दिया गया। मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डॉ शिव सिंह ने कहा था कि, यह ‘सस्पेंडेड एनीमेशन’ का मामला हो सकता है, जहां मौत हुए बिना ही कई महत्वपूर्ण अंगों की अस्थायी समाप्ति होती है, जिससे इस तरह की असाधारण स्थिति पैदा हो सकती है।