प्रयागराज कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ कथित फर्जी डिग्री आरोपों की प्रारंभिक जांच का आदेश दिया है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अदालत ने पुलिस को केशव प्रसाद मौर्य की कथित फर्जी डिग्री की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया है। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत दायर एक आवेदन पर आदेश जारी किए गए हैं।
बुधवार को एसीजेएम (प्रयागराज) नम्रता सिंह ने छावनी, प्रयागराज के थाना प्रभारी को कुछ बिंदुओं पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज द्वारा उपमुख्यमंत्री को जारी उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष की डिग्री की प्रामाणिकता शामिल है।
मामले में आवेदक दिवाकर त्रिपाठी ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत दायर एक याचिका में मौर्य के खिलाफ विभिन्न स्थानों से पांच चुनाव लड़ने के लिए फर्जी शैक्षणिक डिग्री के कथित उपयोग के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। दूसरा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री ने फर्जी डिग्री के आधार पर एक पेट्रोल पंप भी हासिल किया। एसीजेएम ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 25 अगस्त तय की है।
बता दें कि एसीजेएम कोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रियंका श्रीवास्तव बनाम स्टेट ऑफ यूपी मामले में दिए गए फैसले के आधार पर दिया है। 19 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस मामले में फैसला सुनाया था। डिप्टी सीएम केशव मौर्या के खिलाफ कथित फर्जी डिग्री केस में इसके पहले कोर्ट ने सात अगस्त को सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर त्रिपाठी ने इस मामले में एक याचिका दाखिल कर डिप्टी सीएम केशव मौर्या के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने पांच अलग-अलग चुनावों में फर्जी डिग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाया।